डेस्क
देहरादून। सूत्रों के अनुसार आज यहां पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत और भाकपा माले ने मिलकर देहरादून में दर्जनों कार्यकर्ताओं के साथ बिंदुखत्ता को राजस्व गांव बनाए जाने की सड़क पर नारेबाजी की।
इसमें कांग्रेस और भाकपा माले के कार्यकर्ता हाथों में झंडा लिए मानो चुनाव प्रचार का सुभारंभ देहरादून की वादियों में कर रहे हों! जिस भाकपा माले ने विरोध करके हरीश रावत की बनाई नगरपालिका परिषद वापस करवाई उसी भाकपा माले और कांग्रेस में आज अवसरवादी गठजोड़ क्या दर्शाता है? क्या ये चुनावी गठबंधन का प्रदर्शन नहीं था!
हाथों में झंडा लेकर किसी समस्या का हल कैसे होगा ? समिति सर्वदलीय होती जिसमें न डंडा और न झंडा तब तो समझा जा सकता था कि राजस्व गांव के लिए गंभीरता से लड़ रहे हैं!
अपनी अपनी पार्टi के झंडों का प्रचार करने जुलूस निकाला और जनता से कहा गया कि वह राजस्व गांव बनाने के लिए समिति के बैनर तले गैर राजनीतिक होंगे! लेकिन ऐसा नहीं हुआ! राजनीतिक झंडे से समिति का बैनर दिखावा साबित हो गया! समिति का नाम ही नाम शेष रह गया।
हाथों में विपक्ष का झंडा लेकर भाजपा जब कांग्रेस शासन में संघर्ष कर रही थी तब कांग्रेस ने क्या किया मांगे पूरी की ? कांग्रेस और भाकपा माले के कार्यकर्ता बिन्दुखत्ता की जनता का वोट बैंक देख रहे हैं जो इन्होंने खोया है!
एक समय था जब बिन्दुखत्ता में कांग्रेस और भाकपा माले कार्यकर्ताओं का एक छत्र राज होता था! आज दोनों ही दलों में गिने चुने खूंट रह गए हैं! नई सोच बदल रही है भाजपा के काम से भाजपा का वोट अपने आप बढ़ रहा है!
यही कारण है कि विपक्ष आरोप लगा रहा है मशीन में गड़बड़ी है जबकि सच यह है कि देश प्रेम की भावना का भाजपा को भारी लाभ हो रहा है ये कटु सत्य है इसे स्वीकार करने में कोई हर्ज नहीं दिख रहा है!
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