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जीवन के साथ खिलवाड़ कब तक ? पढ़ें प्रधान सम्पादक *जीवन जोशी* की अपनी बात…

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इस सम्पूर्ण सृष्टि के निर्माता निर्देशक ने जिस हिसाब से रचना की है और यम नियम के गुण दिए हैं उसे अपनाकर ही विश्व का कल्याण संभव है! आपदा प्रबंधन की तरह पर्यावरण संरक्षण की दिशा में भी करनी होगी ठोस पहल!

प्राकृतिक रूप से जो हमें जीने की सलाह दी है वह छेड़ छाड़ योग्य नहीं है! मिलावट की किसी तरह भी कोई गुंजाइश प्रकृति के नियम में नहीं दी गई है!

विकास होना चाहिए किसने मना किया लेकिन विकास के साथ विनाश की जो लीला हमराही बनकर तैयार है उसे रोकने का विज्ञान तभी विकसित होगा जब आम आदमी जल जंगल जमीन से जुड़कर यम नियम का पालन करेगा!

बढ़ते रोग एक चेतावनी है रचनाकार की मानो! प्राकृतिक संसाधन का उतना ही उपयोग हो जितना बहुत जरूरी हो! सारे जंगल आज वन विहीन नजर आने लगे हैं बडी बड़ी पहाड़ी पत्थर का टीला जैसा चमकने लगा पहाड़!

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पहाड़ों की जड़ों को बेहिसाब खनन कारोबार के चलते खोद देना कितना लाभ दायक है तात्कालिक लाभ के लिए भविष्य से खिलवाड़ किया जाएगा तो प्रकृति कितना साथ देगी! आज अधिकांश नदियां बहुत गहरी हो गई है जिससे भू कटाव बढ़ा है!

अवैज्ञानिक तरीके से किए गए विकास ने उत्तराखंड में विनाश लीला को मानो जन्म दिया है! ईमानदारी से काम हो राजस्व भी आयेगा और प्रकृति के नियम की रक्षा भी होगी! हर साल लाखों लोगों ने पेड़ लगाओ अभियान चलाया आज तक उसमें से कितने पेड़ जिंदा हैं!

दिखावे की दुनियां में बढ़ते कदम आने वाले समय में किसी बड़ी भूल का एहसास करा सकते हैं! धरती के अंदर विचलनता बढ़ रही है इसलिए जरूरत है ग्लोबल वार्मिग के खतरे को जितना जल्द हो कम किया जाए! इसके लिए कोई सरकार या संगठन कुछ नहीं कर सकते जब तक आम आदमी अपनी सोच में परिवर्तन न करे!

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अपने आसपास हरियाली कैसे रहे ये लोगों की चिंता में रोजी रोटी की तरह रहे तब कहीं प्रकृति के नियम लागू हो सकते हैं! कठोर नियम बनाए हैं रचनाकार ने! आपदा प्रबंधन के लिए हम जितना चिंतित हैं उतना पर्यावरण, अवैध खनन माफिया पर अंकुश लगाने में सफल रहते तो जरूर परवर्तन होता!

हर साल आपदा के मामले बढ़ते जाना उत्तराखंड के लिए चिंता का विषय है! पलायन रोकने की बात होती है लेकिन धरातल पर खिसकते पहाड़ कुछ और बयां करते हैं! सरकारों को अवैज्ञानिक तरीके से विकास नहीं करना चाहिए! अवैध खनन पर रोक लगाने की बेहद आवश्यकता है!

उत्तराखंड राज्य में आपदा प्रबंधन टीम को पर्यावरण संरक्षण की दिशा में निर्णायक भूमिका निभाते हुए पर्यावरण संरक्षण की दिशा में अपना फ्रंटल संगठन खड़ा करना होगा जिसमें जनता के बीच से लोग अवेतनिक सहयोग करें।

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