

हाल के दिनों में, पड़ोसी देशों बांग्लादेश और नेपाल में जेन-जी (Gen-Z) युवाओं का सड़कों पर उतरना, विरोध प्रदर्शनों और कुछ दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं की खबरें चिंता का विषय रहीं।
यह देखना दुखद है कि कैसे अशांति, अव्यवस्था का माहौल किसी भी राष्ट्र की सभ्यता, विकास और प्रगति को दशकों पीछे धकेल सकता है। जब युवा शक्ति रचनात्मकता और राष्ट्र निर्माण में लगनी चाहिए, तब लक्ष्य स्पष्ट होने के बावजूद भी उसका विध्वंसक कार्यों में उलझ जाना राष्ट्र के लिए सबसे बड़ी क्षति है।
निसंदेह वहां कुछ कारण जनता को व्यथित करने वाले अस्तित्व में हैं। फिर भी इन घटनाओं के पीछे विदेशी ताकतों के इशारे पर षड्यंत्र की आशंकाओं को नकारा नहीं जा सकता।
यदि अपने देश को केंद्र में रखकर यह सोचा जाए तो यह एक कटु सत्य है कि जो शत्रु राष्ट्र भारत की तीव्र तरक्की और वैश्विक उत्थान से ईर्ष्या रखते हैं, वे सीधे टकराव मोल लेने के बजाय यहां आंतरिक अस्थिरता पैदा करने की नीति अपनाते दिखाई देते रहते हैं।
चूंकि शत्रु देश भारत से सीधे नहीं टकरा सकते तब वे भारत के भीतर छुपे हुए अपने 'राजनीतिक दलालों' और अवसरवादी तत्वों का दुरूपयोग करते हैं।
इनका एकमात्र एजेंडा भारत को उसके विकास के एजेंडे से हटाना, आर्थिक गति को बाधित करना और देश में अशांति फैलाना है। शत्रु देशों द्वारा इन्हीं षडयंत्रों के चलते भारत में भी समय समय पर अशांति फैलाने के प्रयास किए गए हैं।
देश को अस्थिर करने के लिए आतंकवाद, बम धमाके, और चुनावों में अविश्वास पैदा करने जैसी हरकतें विदेशी ताकतों के इशारों पर ही की जाती हैं।
इसके अलावा, सामाजिक ताने-बाने को तोड़ने के लिए जात-पाँत, धर्म, क्षेत्र और भाषा के नाम पर संकीर्ण अवसरवादी नेता युवाओं को भड़काने की कोशिश करते रहते हैं।
उनका एकमात्र स्वार्थ राजनीतिक लाभ की प्राप्ति और स्वयं के पक्ष में सामाजिक ध्रुवीकरण होता है। परंतु, एक बात जो भारत को उसके पड़ोसियों से अलग और विशेष बनाती है, वह है भारतीय युवाओं की अंतर्निहित समझदारी और परिपक्वता।
भारत का युवा सिर्फ विरोध करना नहीं जानता, बल्कि कारण और परिणाम को समझना जानता है। वह सोशल मीडिया पर फैलाई जा रही भ्रामक अफवाहों और झूठे नैरेटिव को बिना परखे स्वीकार नहीं करता।
आज का भारतीय युवा सूचना और प्रौद्योगिकी से लैस है।
वह किसी भी जानकारी को साझा करने से पहले उसके स्रोत की जाँच करता है।
वह तर्क और ज्ञान के आधार पर निर्णय लेता है, न केवल भावनात्मक आवेग में आकर। यही कारण है कि भारतीय युवा अपनी राष्ट्रीय पहचान और सांस्कृतिक विविधता के महत्व को समझता है। वह जानता है कि सद्भाव ही उसकी सबसे बड़ी ताकत है।
भारत का युवा भविष्य-उन्मुख है। वह जानता है कि उसका समय और ऊर्जा व्यर्थ के विवादों में नहीं, बल्कि कौशल विकास, नवाचार और राष्ट्र के आर्थिक विकास में लगनी चाहिए।
भारत का भविष्य किसी राजनीतिक दल या बाहरी शक्ति पर निर्भर नहीं करता। यह पूरी तरह से युवाओं के सद्भाव और पुरुषार्थ पर निर्भर है। युवा शक्ति ही राष्ट्र की सबसे बड़ी संपत्ति है।
भारत एक ऐसा गुलदस्ता है जहाँ विभिन्न धर्म, भाषाएँ और संस्कृतियाँ एक साथ फलती-फूलती हैं। युवा पीढ़ी को इस विविधता को कमजोरी नहीं, बल्कि अद्वितीय शक्ति के रूप में देखना होगा।
जब युवा आपस में जात-पांत और एसआईआर, सामाजिक पहचान या क्षेत्रवाद के नाम पर नहीं, बल्कि भारतीयता के नाम पर एकजुट होते हैं, तो कोई भी बाहरी शक्ति या आंतरिक अवसरवादी नेता इस देश को तोड़ नहीं सकता।
इस भरोसे को बनाए रखने के लिए जरूरी हो जाता है कि हमारे देश के युवा भड़काने वाले हर बयान और वायरल पोस्ट पर तुरंत यकीन न करें। पहले सोचो, परखो, फिर बोलो की तर्ज पर विभिन्न समुदायों और विचारों के लोगों के साथ सकारात्मक संवाद स्थापित करें। गलतफहमियाँ हमेशा संवाद की कमी से पैदा होती हैं।
इसलिए हर परिस्थिति में सकारात्मक सद्भाव और संवाद बनाए रखें।
हमें यह तय करके रखना होगा कि किसी भी समस्या का समाधान सड़कों पर दंगा करने या सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुँचाने में नहीं है। देश के संविधान और कानून में विश्वास रखें और लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं का सम्मान करें।
आज का युग ज्ञान और प्रौद्योगिकी का है। हर युवा को अपने कौशल को निखारने, नई तकनीकें सीखने और वैश्विक बाजार के लिए खुद को तैयार करने पर ध्यान देना चाहिए।
भारत को विश्व गुरु बनाने का मार्ग नवाचार और उद्यमिता से होकर गुजरता है। युवा पीढ़ी को जॉब सीकर नहीं, बल्कि जॉब क्रिएटर बनने का लक्ष्य रखना चाहिए। अपने समाज और राष्ट्र के प्रति सेवा और समर्पण की भावना रखें।
उदाहरण के लिए – छोटे स्तर पर सामुदायिक कार्य, स्वच्छता अभियान और शिक्षा प्रसार में योगदान देना भी राष्ट्र निर्माण ही है। हमें यह बात भली भाँति समझनी होगी कि हमारे शत्रु देश हमारी प्रगति से जलते हैं और वे हमारी सबसे बड़ी ताकत, यानी हमारे युवाओं, को भटकाने का निरंतर प्रयास करते रहेंगे।
लेकिन, भारत का युवा जागरूक है। वह अपनी विरासत के मूल्यों, अपने भविष्य की संभावनाओं और अपने राष्ट्र की शक्ति को पहचानता है। भारत के युवाओं की सामूहिक चेतना और उनका सद्भाव ही देश की अखंडता की अंतिम गारंटी है।
हमारा संकल्प है कि हम भ्रामक अफवाहों और अवसरवादी नेताओं की चालों से सावधान रहेंगे। हम देश के विकास के एजेंडे पर अडिग रहेंगे। हम अपनी ऊर्जा को रचनात्मकता में लगाएंगे। क्योंकि भारतीय युवा ही वह प्रकाश स्तंभ है, जो चुनौतियों के तूफ़ान में भी भारत को सही दिशा दिखाता रहेगा।
आइए, हम सब मिलकर सद्भाव, एकजुटता और पुरुषार्थ के साथ एक ऐसे विकसित भारत का निर्माण करें, जिस पर पूरी दुनिया गर्व कर सके। यह सिर्फ हमारा सपना नहीं, बल्कि हमारी जिम्मेदारी है। सहयोग: विभूति फीचर्स
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