जीवन जोशी
नई दिल्ली। देश में एक बड़े राजनीतिक तूफान की आशंका बलवती होती दिख रही है! राहुल गांधी की सदस्यता जाने का कारण अदालत का निर्णय हो सकता है और नियम के अनुसार सदस्यता गई है! लेकिन ये मामला जिस तरह प्रचार पा रहा है और विपक्ष को एक दूसरे के करीब ला रहा है उससे सियासती तूफान आने की संभावना बढ़ती दिख रही है!
मोदी चोर है कहना राहुल गांधी को महंगा पड़ गया और संसद की सदस्यता चली गई, बंगला खाली करने तक की बातें मीडिया लिख रहा है! जाती सूचक शब्दों के लिए माफी न मांगना भी एक बड़ा कारण रहा है! नियम के अनुसार सरकार ने राहुल की सदस्यता खत्म की है लेकिन इससे जो संदेश कांग्रेस और विपक्ष जनता के बीच ले जायेगा उसकी काट क्या होगी ?
देश में एक साल बाद चुनाव होना है और जनता महंगाई, बेरोजगारी जैसे कई मामलों में चुप चाप है इसका मतलब कहीं न कहीं जनता के दिल में कुछ छिपा है जिसे वह चुनाव में उजागर करेगी! कहते हैं खुली चोट उतनी खतरनाक नहीं होती जितनी बंद चोट जान लेवा होती होती है!
जनता चुनाव में नदी की तरह बहती है जो चाहे पानी अपनी तरफ मोड़ लेता है! जिसे सही नहर बनानी आ गई वह नदी का पानी अपने हिसाब से ले जायेगा! राहुल गांधी ने भारत जोड़ो यात्रा भी निकाली है इसका असर कितना होगा ये भी हल्के में नहीं लिया जाना चाहिए!
दिल्ली में मनीष सिसोदिया प्रकरण पर भी लोगों में कई तरह की चर्चा है इससे विपक्ष मजबूत होता दिख रहा है! आने वाले लोकसभा चुनाव से पूर्व विपक्ष को जानदार मुद्दा मिल गया तो वह करवट भी ले सकता है! जनता सड़कों पर नहीं आ रही इसका मतलब ये भी नहीं निकाला जाना चाहिए कि वह खुश है! जनता का खामोशी को समझने की जरूरत है!
कहते हैं जनता की खामोशी खतरनाक होती है इसलिए सभी राजनीतिक दल जनता की चुप्पी को हल्के में न लें! राहुल गांधी के साथ समूचा विपक्ष एकजुट होकर जनता में क्या प्रचार कार्य है और जनता क्या समझेगी ये तीर अभी तरकश में हैं समय बताएगा जनता क्या मन बना कर निर्णय सुनाएगी! चुनाव से ठीक पहले राहुल गांधी प्रकरण सियासत में भूचाल का सूत्रधार भी बन सकता है।
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