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Election Result 2022: उत्तराखंड और गोवा में भाजपा ने छुआ बहुमत का आंकड़ा

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Election Result 2022: उत्तर प्रदेश, पंजाब और उत्तराखंड समेत 5 राज्यों में वोटों की गिनती शुरू हो चुकी है। यूपी में बेहद रोचक मुकाबला देखने को मिल रहा है। सपा और भाजपा के बीच कड़ी टक्कर है, जबकि पंजाब में कभी कांग्रेस तो कभी आप को बढ़त मिल रही है। वहीं हॉट सीट की बात करें तो फाजिलनगर सीट से स्वामी प्रसाद मौर्य और जहूराबाद से ओपी राजभर पीछे चल रहे हैं। वहीं गोरखपुर से सीएम योगी आदित्यनाथ और सिराथू से केशव प्रसाद मौर्य आगे चल रहे हैं।

लाइव हिंदुस्तान पर आपको रुझान और  परिणाम (Assembly Election Results) से संबंधित सभी लैटेस्ट अपडेट्स मिलते रहेंगे। शुरुआती रुझान में यूपी और उत्तराखंड में भाजपा आगे है। उत्तर प्रदेश की 403, पंजाब की 117, उत्तराखंड की 70, गोवा की 40 और मणिपुर की 60 विधानसभा सीटों पर मतदान शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हो गए थे। उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा सात चरणों में मतदान कराए गए।

पंजाब, उत्तराखंड और गोवा में एक चरण में तो वहीं मणिपुर दो चरणों में मतदान संपन्न हुए। उत्तर प्रदेश की बात करें तो यहां करीब 50 हॉट सीटें हैं। इसमें योगी आदित्यनाथ, केशव प्रसाद मौर्य समेत कई मंत्री शामिल हैं। उत्तर प्रदेश में मुख्य टक्कर भाजपा और सपा के बीच बताई जा रही है। वहीं पंजाब की बात करें तो यहां का मुकाबला त्रिकोणीय हो सकता है। इस बार आम आदमी पार्टी भी पंजाब में मजबूती से चुनाव लड़ी है। उत्तराखंड और गोवा में भाजपा और कांग्रेस के बीच सीधी टक्कर बताई जा रही है। चुनाव परिणाम से जुड़े लाइव अपडेट्स के साथ आप हमारे साथ जुड़े रहें.

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पश्चिमी उत्तर प्रदेश में  भाजपा को 42 सीटें मिलती नजर आ रही हैं। लखीमपुर और हाथरस में सभी सीटों पर भाजपा आगे चल रही है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भाजपा बड़ी जीत की ओर है। उसे सिर्फ 8 सीटों का नुकसान होता दिख रहा है। Thu, 10 Mar

टूटेगा नोएडा का मिथक

उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक मिथक हमेशा से चर्चा में रहा है कि जो भी मुख्यमंत्री अपने कार्यकाल के दौरान नोएडा जाता है, उसकी कुर्सी अगले चुनाव में चली जाती है। नोएडा से जुड़े इस अंधविश्वास का खौफ नेताओं में इतना अधिक रहा है कि अखिलेश यादव बतौर मुख्यमंत्री एक बार भी नोएडा नहीं आए। उनसे पहले मुलायम सिंह यादव, एनडी तिवारी, कल्याण सिंह, और राजनाथ सिंह जैसे नेताओं ने भी नोएडा से दूरी बनाए रखी। 2007 से 2012 के बीच मायावती ने इस मिथक को तोड़ने की और दो बार नोएडा गईं। लेकिन 2012 में उनकी सरकार गिर जाने के बाद नोएडा का ये मिथक फिर चर्चा में आ गया। वहीं दूसरी ओर योगी आदित्यनाथ अपने कार्यकाल के दौरान कई बार नोएडा गए। ऐसे में अब ये मिथक भी टूटता दिख रहा है।  

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