बिंदुखत्ता। झाड़ी काटने से लेकर! झोपड़ी बनाकर रहने और फिर उत्तराखंड की संस्कृति को जिंदा रखना कितना कठिन काम था! इसे बखूबी निभाकर एक हस्ताक्षर बन जाना प्रतिभाशाली के ही बस में होता है! यह काम किया था प्रहलाद दा ने! आज वह दुनियां को अचानक ही अलविदा कह गए! आज बिंदुखत्ता ही नहीं पूरा राज्य प्रहलाद मेहरा की याद में गमगीन है!
जिसे पता चलता वही उनके घर की तरफ दौड़ रहा है! अपने कलाकार के अंतिम दर्शन को लोग संजय नगर उनके आवास पर उमड़ रहे हैं और उनके साथ बिताए पलो को याद कर आंसू बहा रहे हैं!
किसी को भी यकीन नहीं ही रहा है कि कुमाऊं की शान चिरनिद्रा में लीन हो गया है!
बिंदुखत्ता में पले और बड़े हुए प्रसिद्ध लोक कलाकार, गायक प्रहलाद सिंह मेहरा का आज 53 वर्ष की उम्र में निधन बेहद दुखद है!
उनके अचानक दुनियां को अलविदा कह देने से हर कोई हतप्रभ है और विश्वास नहीं हो रहा है की प्रहलाद दा नहीं रहे! बिंदुखत्ता की रामलीला से रंग मंच की शुरूवाद कर एक मुकाम पर पहुंच कर जिस तरह प्रहलाद दा के गीत उत्तराखंड में धूम मचा रहे हैं वह संस्कृति को बचाने की दिशा में एक कष्ट दाई सफर था!
कलाकारी प्रहलाद दा के रग रग में भरी थी! लेकिन आज वह सबको रुला कर अपने असली धाम चले गए हैं! उनका पार्थिव शरीर आज रात भर उनके आवास पर रहेगा!
प्रातः उनका अंतिम संस्कार चित्रशिला में होगा! उनके घर संजय नगर में सैकड़ों लोग एकत्र हैं हर किसी की आंखें नम हैं! स्थानीय विधायक डा मोहन बिष्ट, पूर्व मंत्री हरीश चंद्र दुर्गापाल, पूर्व विधायक नवीन दुम्का, सांसद प्रत्याशी अजय भट्ट की धर्मपत्नी, सामाजिक कार्यकर्ता हेमवती नन्दन दुर्गापाल, भाजपा नेता चंद्रशेखर पाण्डेय, भाजपा मंडल अध्यक्ष जगदीश पंत, भाजयुमो अध्यक्ष मनीष बोरा, प्रेस क्लब अध्यक्ष जीवन जोशी, सहित कई गणमान्य लोगों ने स्वर्गीय प्रहलाद मेहरा को अश्रुपूरित श्रद्धांजलि अर्पित की है।
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