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हर मनुष्य की पहचान उसके भूगोल और वहां की संस्कृति से होती है! पढ़ें बच्चों को किसने सिखाया हरेला गीत…

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देहरादून। पद्मश्री माधुरी बड़थ्वाल ने बच्चों को सिखाये हरेला के लोक गीत। धाद संस्था द्वारा स्कूल मे हरेला का कोना स्थापित। धाद द्वारा हरेला माह के अंतर्गत चलाये जा रहे अभियान में एक नया अध्याय हरेला का कोना शुरू किया गया जिसमें सहारनपुर के व्यवसाई जुगल किशोर जुगरान की ओर से दो हरेला के कोने स्थापित किये गए साथ अमोल सक्सेना की ओर से दो कोने किताबों के भी स्थापित किये गए।

कार्यक्रम का शुभारंभ राजकीय कन्या उच्च प्राथमिक विद्यालय मेहुवाला माफी स्कूल मे मांगल गीतों द्वारा किया गया I कार्यक्रम में उपस्थित मुख्य अतिथि पद्मश्री डॉ. माधुरी बड़थ्वाल ने कहा कि आजकल की व्यस्त दिनचर्या मे हम अक्सर प्रकृति को भूल जाते हैं ऐसे मे हमारे हरेला और फूलदेई जैसे प्रकृति से जुड़े हुए त्यौहार और भी ज्यादा महत्वपूर्ण हो जाते हैं I

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हर मनुष्य की पहचान उसके भूगोल और वहां की संस्कृति से ही होती हैं I हम सौभाग्यशाली हैं कि हम हिमालय उत्तराखंड के वासी हैं I यहाँ की प्रकृति और संस्कृति को जीवित रखना हम सबका कर्त्तव्य है I इस अवसर पर उन्होंने बच्चों को लोक गीत व नृत्य भी सिखाया I

धाद स्मृति वन की सचिव नीना रावत ने हरेला पर धाद द्वारा विगत कुछ वर्षों में विकसित स्मृति वन, बाल वन, मित्र वन और पुष्प वन की जानकारी साझा की। उन्होंने कहा कि पेड़ लगाने के साथ साथ उनको बचा कर बड़ा करना ज्यादा महत्वपूर्ण है।

कोना कक्षा के संयोजक गणेश उनियाल ने धाद के विभिन्न कार्यक्रमों एवं कार्यप्रणाली के बारे में विचार रखे और बताया कि संस्था हर वर्ष की तरह इस बार भी पूरे हरेला माह यानी घी-संक्रांति तक रोज विभिन्न स्थानों पर हरेला का संदेश देगी और पौधारोपण करेगी I

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विद्यालय की प्रधानाध्यापिका श्रीमती लक्ष्मी पयाल ने कार्यक्रम के लिए धाद का आभार व्यक्त किया और कहा की इस तरह के कार्यक्रम बच्चों के सम्पूर्ण विकास और उनके प्रकृति से जुड़ाव के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं I कार्यक्रम का संचालन धाद की ओर से आशा डोभाल ने किया उन्होंने बच्चों को पेड़ों की महत्ता से परिचित करवाया एवं हरेला का इतिहास बच्चों के समक्ष रखा।

इस अवसर पर सुदीप जुगरान, साकेत रावत, शुभम शर्मा, नीलिमा धूलिया, आशा क्षेत्री, अंजू भट्ट, सुनीता सकलानी, अभिज्ञा, विद्यालय की शिक्षिकायें मीनाक्षी जुयाल, सतेश्वरी रावत, सुषमा बडोनी, गजाला परवीन, रमेश चौहान और शांति रावत उपस्थित थे।

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