
लालकुआं। कभी समय था एक अक्टूबर को गौला नदी में चुगान प्रारंभ हो जाता था और हजारों लोग इससे रोजी रोटी पाते थे! आज हाल यह है कि दिसंबर बीत रहा है गौला नदी में सन्नाटा पसरा हुआ है और मजदूर हाथ पर हाथ रख कर बैठे हैं कि कब खुलेगी नदी ?
इससे सरकार को भी प्रतिदिन करोड़ों रुपए के राजस्व का नुकसान हो रहा है! कर्मचारी सरकार के बिना काम के बैठे हैं! नदियों के किनारे बाढ़ सुरक्षा दीवार बननी है! सरकार और जनता को तीन माह नदी बंद रहने से कई करोड़ रूपए का नुकसान हुआ है! गरीब परिवार जो नदी के सहारे जीवन यापन करते हैं और जिनका पुश्तैनी कार्य खनन कार्य होता है वह लोग बदहाल जीवन जी रहे हैं! गरीब मजदूर हित और जनहित में जल्द गौला नदी खुलनी चाहिए जिससे राजस्व की हानी भी न हो।
पहले एक अक्टूबर से तीस जून तक नदी चलती थी जो अब मात्र पांच माह भी सही से नहीं चलती! नदी में सन्नाटा पसरा हुआ है जो कार्यदाई संस्था की लापरवाही को उजागर करता है! पहले डीएफओ इसकी देख रेख करते थे जो अब जिलाधिकारी की देखरेख में चला गया! एक डीएफओ ने पूर्व में नदी जिला प्रशासन के अधीन कर दी थी, तब से नदी जिला प्रशासन के पास पहुंच गई जबकि शेष सभी अधिकार वन विभाग के पास हैं।


















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