
नैनीताल। आज पत्रकार गणेश शंकर विद्यार्थी की जयंती पर उनका भावपूर्ण स्मरण करते हुए पत्रकार संगठन ने कहा कि आज फुहड़ता के चलते वास्तविक पत्रकार ऊहापोह की स्थिति में है जो पत्रकारिता कभी एक मिशन हुआ करती थी वह आज एक माइक लगे डंडे पर आ टिकी है।
पहले पत्रकारिता एक मिशन बतौर काम करती थी लेकिन आज वास्तविक पत्रकार अपने को ठगा सा महसूस करते हैं।
पत्रकारिता के गिरते स्तर पर गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि आज जरूरत है सकारात्मक पत्रकारिता कि लेकिन नकारात्मक प्रभावित करने वाली फूहड़ पत्रकारिता के चेहरे ने समाज को भी दूषित किया है।
आज अपराध करने वाले कलम के सिपाही बनकर समाज में जहां जहर घोलने का काम कर रहे हैं वहीं नेता और अधिकारी भी इनके असली चेहरे को नहीं सिर्फ लोगों लगे डंडे को ही असली पत्रकार समझ बैठे हैं!
वास्तविक रूप से जो पत्रकार हैं वह आज डायनासोर की प्रजाति की तरफ बढ़ने लगे हैं क्योंकि असली पत्रकारिता का सम्मान रह नहीं गया है! चापलूस हैं तो सबसे बड़े हैं! ईमानदारी से काम की इज्जत नहीं रहेगी तो पत्रकारिता को बचा पाना मुश्किल होगा।
सरकार मिशन बतौर काम करने वाले ईमानदार पत्रकारों को सूचीबद्ध कर उनका उत्साहवर्धन करे तब पीत पत्रकार और पत्रकारिता को रोका जा सकता है!















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