
बिंदुखत्ता। विश्व पुस्तक एवं कॉपीराइट दिवस के अवसर पर चाइल्ड सैक्रेड सीनियर सेकेंडरी स्कूल, पश्चिम राजीव नगर के परिसर में गोष्ठी का आयोजन किया गया।
इस अवसर पर छात्रों ने न केवल किताबों के महत्व पर चर्चा की, बल्कि व्यवहारिक रूप से यह संकल्प भी लिया कि वे पुस्तकों के आदान-प्रदान की प्रक्रिया को अपनाकर ज्ञान साझा करेंगे और पर्यावरण संरक्षण में भी योगदान देंगे।गोष्ठी में बच्चों को अपने पाठ्यक्रम से इतर पुस्तकें पढ़ने के लिए प्रेरित किया गया।

छात्रों ने विभिन्न साहित्यिक, प्रेरणात्मक, ऐतिहासिक और विज्ञान आधारित पुस्तकों को पढ़कर अपने विचार साझा किए। इस संवादात्मक गतिविधि के दौरान छात्रों ने महसूस किया कि “अच्छे भविष्य का रास्ता किताबों के होकर ही गुजरता है।”
कार्यक्रम की विशेषता रही दिल्ली से आए क्लेलैव एजुकेशन फाउंडेशन के संस्थापक विवेक कौशिक की सहभागिता। उन्होंने विश्व पुस्तक दिवस के महत्व पर बच्चों को संबोधित करते हुए कई उपयोगी पहल साझा कीं।

उन्होंने घोषणा की कि कक्षा 10वीं और 12वीं के प्रत्येक छात्र को एक मेंटॉर प्रदान किया जाएगा, जो ऑनलाइन माध्यम से उनके साथ संवाद करेगा। ये मेंटॉर वे विद्यार्थी होंगे, जिन्होंने बोर्ड परीक्षा में सफलता पाई है और वर्तमान में देश के प्रतिष्ठित संस्थानों में अध्ययनरत हैं।
ये मेंटॉर न केवल विषय आधारित सहायता देंगे, बल्कि यह भी मार्गदर्शन करेंगे कि उच्च अंक कैसे प्राप्त किए जाएं, मानसिक रूप से संतुलित कैसे रहा जाए, और भविष्य में अच्छे विश्वविद्यालयों में प्रवेश के लिए कैसे तैयारी की जाए। यह योजना विद्यार्थियों के लिए एक स्थायी सहयोग नेटवर्क की तरह काम करेगी।
कौशिक ने यह भी कहा कि वह बिंदुखत्ता क्षेत्र के विद्यार्थियों के लिए एक स्कॉलरशिप योजना शुरू करेंगे, जिससे मेधावी, प्रतिभाशाली और आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों को उच्च शिक्षा के अवसर मिल सकें। उन्होंने विद्यार्थियों को नेतृत्व विकास, करियर गाइडेंस और व्यक्तित्व निर्माण से संबंधित सत्रों की भी योजना साझा की।
विद्यालय की प्रधानाचार्य डॉ. प्रीति सिंह एवं प्रबंधक बसंत बल्लभ पांडे ने इस नवाचार के लिए क्लेलैव के संस्थापक विवेक कौशिक का आभार व्यक्त किया और इसे छात्रों के शैक्षणिक व मानसिक विकास के लिए एक उपयोगी पहल बताया।
विद्यालय की मैनेजमेंट डायरेक्टर सुनीता पांडे ने छात्रों को बधाई देते हुए कहा कि “आज का युग ज्ञान का है, और पुस्तकें ही वह साधन हैं जो हमें अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाती हैं।
इसके अतिरिक्त, यह भी संकल्प लिया गया कि प्रत्येक छात्र हर महीने कम से कम एक विषयेतर पुस्तक पढ़ेगा और उस पर कक्षा में चर्चा करेगा। इस पहल से बच्चों में रचनात्मकता, अभिव्यक्ति क्षमता और आलोचनात्मक सोच को बढ़ावा मिलेगा।
















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