
मुंबई। अमिताभ बच्चन ने अपने पिता हरिवंश राय बच्चन की किताब से आज कुछ पंक्तियां पोस्ट की हैं। बीते दिनों पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था।
इस हमले में कई निर्दोषों की जान गई और कई परिवारों की जिंदगी हमेशा के लिए बदल गई। कई बेटियों का सिंदूर उजड़ गया।
इस हृदय विदारक घटना के बाद देश के हर कोने से प्रतिक्रियाएं आ रही हैं, लेकिन जो सबसे ज्यादा चर्चा में है वह है सदी के महानायक अमिताभ बच्चन का भावुक और प्रतीकात्मक ट्वीट।
अमिताभ बच्चन ने सोशल मीडिया पर एक बेहद मार्मिक पोस्ट को साझा किया है जिसमें उन्होंने एक कविता के माध्यम से दर्द और बलिदान को बयां किया जो इस हमले में झेलना पड़ा।
उन्होंने अपने पोस्ट में लिखा_है चिता की राख में, माँगती सिंदूर दुनिया —
यह पंक्ति उनके बाबूजी हरिवंश राय बच्चन की कविता से ली गई हैं जो इस वक्त की गंभीरता और शोक को बेहद संजीदगी से प्रस्तुत करती है और प्रासंगिक लगती है।
इस ट्वीट से पहले अमिताभ बच्चन ने कुछ रहस्यमयी ब्लैंक ट्वीट्स किए थे, जिससे उनके प्रशंसक और सोशल मीडिया यूज़र्स असमंजस में पड़ गए थे।
लेकिन जब उन्होंने “ऑपरेशन सिंदूर” शीर्षक के साथ यह भावनात्मक पोस्ट साझा की, तो यह स्पष्ट हो गया कि वह देश के वीर सपूतों को श्रद्धांजलि दे रहे हैं।
पोस्ट के भीतर उन्होंने एक काल्पनिक लेकिन गहन रूपक कथा का सहारा लिया, जिसमें एक निर्दोष पति-पत्नी की दर्दनाक कहानी और एक निर्दयी राक्षस के कृत्य को दर्शाया गया है।
पत्नी जब खुद की मौत की भीख मांगती है, तो राक्षस उसे उसकी बेटी के पास भेजने को कहता है, और वहीं पर बच्चन की कविता की यह पंक्ति सामने आती है —
*है चिता की राख में, माँगती सिंदूर दुनिया* यह एक गहरा प्रतीक है उस संघर्ष, बलिदान और स्त्री-शक्ति का, जो युद्ध और आतंकवाद के बीच उभरकर सामने आती है।
अमिताभ बच्चन का ट्वीट इस प्रकार है_* छुट्टियाँ मानते हुए, उस राक्षस ने, निर्दोष पति पत्नी को बाहर खींच कर, पति को नग्न कर, उसके धर्म की पूर्ति करने के बाद , उसे जब गोली मारने लगा, तो पत्नी ने, घुटने पे गिर कर, रो रो अनुरोध करने के बाद भी, की उसके पति को न मारो ! उसके पति को उस बुझ दिल राक्षस ने, बेहद बेरहमी से , गोली मार कर, पत्नी को विधवा बना दिया !
जब पत्नी ने कहा *मुझे भी मार दो* ! तो राक्षस ने कहा नहीं ! तू जाके …. * को बता * ! बेटी की, मनःस्थिति पर, बाबूजी की एक कविता की पंक्ति याद आयी!
मानो वो बेटी …. *के पास गई, और कहा * है चिता की राख कर में, माँगती सिंदूर दुनिया “ .. (बाबूजी की पंक्ति) तो “ …. “ ने दे दिया सिंदूर !!! OPERATION SINDOOR !!! जय हिन्द, जय हिन्द की सेना, तू ना थमें गा कभी ; तू न मुड़ेगा कभी ; तू न झुकेगा कभी, कर शपथ , कर शपथ, कर शपथ ! अग्नि पथ! अग्नि पथ ! अग्नि पथ !!!














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