
बलरामपुर/मुंबई। उत्तर प्रदेश के बलरामपुर में धर्मांतरण के बड़े खतरनाक जाल को उजागर करते हुए प्रशासन ने बड़ी कार्रवाई को अंजाम दिया है। धर्मांतरण का मास्टरमाइंड कहे जा रहे जलालुद्दीन उर्फ छांगुर बाबा की आलीशान कोठी को बुलडोजर चलाकर ध्वस्त कर दिया गया है। इस मामले को लेकर योगी सरकार का बुलडोजर देर किए बिना कोठी पर चल गया।
यह कोठी सरकारी जमीन पर अवैध कब्जे के आधार पर बनाई गई थी, जिस पर पूर्व में नोटिस भी जारी किया गया था।
ग्राम सभा की जमीन पर खड़ी थी करोड़ों की कोठी बलरामपुर के उतरौला क्षेत्र के मधपुर गांव स्थित यह कोठी गाटा संख्या 337/370 के तहत दर्ज 0.0060 हेक्टेयर ग्राम सभा भूमि पर अवैध रूप से खड़ी की गई थी।
तहसील प्रशासन ने 7 दिन का नोटिस देकर अतिक्रमण हटाने का निर्देश दिया था, लेकिन समय सीमा बीतने के बाद प्रशासन ने दो बुलडोजर मशीनों से ढांचा ध्वस्त कर दिया।
कार्रवाई से पहले कोतवाली प्रभारी अवधेश राज सिंह और उतरौला के तहसीलदार मौके पर भारी पुलिस बल के साथ पहुंचे थे। प्रशासन का कहना है कि छांगुर के सहयोगियों की संपत्तियों की जांच और कार्रवाई की प्रक्रिया भी तेज कर दी गई है।
जाति देखकर तय करता था धर्मांतरण की ‘कीमत’यूपी एटीएस द्वारा की गई जांच में ऐसे चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं, जो धर्मांतरण को सुनियोजित ‘वित्तीय सौदेबाजी’ के रूप में दर्शाते हैं। आरोप है कि छांगुर बाबा जातियों के अनुसार लड़कियों की कीमत तय करता था। ब्राह्मण और क्षत्रिय लड़कियों के लिए 15-16 लाख रुपये तक की फंडिंग होती थी।
लक्षित वर्ग आर्थिक रूप से कमजोर और सामाजिक रूप से असहाय होता था। जांच में अब तक 100 करोड़ रुपये से अधिक की विदेशी फंडिंग का संदेह जताया गया है, जिसका प्रयोग धर्मांतरण, प्रॉपर्टी खरीद, और महंगी गाड़ियों की खरीद में हुआ।
मुंबई से बलरामपुर तक फैला नेटवर्कछांगुर का नेटवर्क केवल बलरामपुर तक सीमित नहीं रहा। एटीएस के मुताबिक, मुंबई निवासी नवीन रोहरा और उनकी पत्नी नीतू को धर्म परिवर्तन कराकर जमालुद्दीन और नसरीन नाम दिया गया। यह दंपती बलरामपुर लाया गया और नेटवर्क का हिस्सा बना दिया गया।
नवीन को 8 अप्रैल को पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका है। छांगुर ने शोरूम, कोठियां और विदेशी गाड़ियां भी बनाई हैं, जिनकी जांच अब केंद्रीय एजेंसियां भी कर रही हैं। कोर्ट के लिपिक का कनेक्शन भी उजागर , इस प्रकरण की परतें खुलती जा रही हैं। जांच में सामने आया है कि छांगुर का संबंध उतरौला न्यायालय में तैनात लिपिक राजेश उपाध्याय से भी रहा है।
राजेश ने छांगुर के मुकदमों में पैरवी की थी। बाद में पुणे में 16 करोड़ रुपये की जमीन खरीद में राजेश की पत्नी संगीता को भी हिस्सेदार बनाया गया।
हालांकि राजेश ने किसी प्रकार के लेन-देन या साझेदारी से इनकार किया है, लेकिन एटीएस अब उन्हें आरोपी मानकर पूछताछ की तैयारी कर रही है।
ये कार्रवाई स्पष्ट रूप से उत्तर प्रदेश सरकार की उस नीति को दर्शाती है, जिसके तहत धर्मांतरण, अवैध फंडिंग और अतिक्रमण के मामलों में जीरो टॉलरेंस अपनाया जा रहा है। छांगुर बाबा की गिरफ्तारी और अब बुलडोजर की कार्रवाई यही दिखाती है कि शासन-प्रशासन अब ऐसे संगठित अपराध के खिलाफ निर्णायक रुख अख्तियार कर चुका है।
बलरामपुर की यह कार्रवाई महज एक अतिक्रमण हटाने का मामला नहीं, बल्कि एक संगठित अपराध तंत्र के ध्वस्त होने की शुरुआत मानी जा रही है। आने वाले दिनों में और भी गिरफ्तारियां और खुलासे इस कथित धर्मांतरण नेटवर्क के बारे में अहम जानकारियां सामने ला सकते हैं।
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