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कुमाऊं की राजधानी ने बचाई कुमाऊं की इज्जत! पढ़ें काली कुमाऊं का इतिहास जीवन की कलम से…

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चंपावत । पहली बार ऐसा हुआ है कि कुमाऊं की राजधानी ने कुमाऊं की इज्जत रखी है और प्रदेश को स्थाई सीएम दिया है। चंपावत के इतिहास पर हम आज अपने पाठकों को लिए चलते हैं। वायु पुराण कथा के अनुसार नागों की बहिन चंपावती ने बालेश्वर मंदिर में तपस्या की थी इसलिए इसका नाम चंपावत पड़ा। पहले ये नाग वंशीय 9 राजाओं की राजधानी हुआ करती थी। इसके बाद यह 869 सालों तक चंद राजाओं की राजधानी रही। चंद राजाओं ने यहां सात मंदिरों की स्थापना की जिसमें बालेश्वर, क्रांतेश्वर, ताड़केश्वर, ऋषिश्वर, डिक्टेश्वर, मल्लडेश्वर, मानेश्वर हैं। चंद राजाओं ने 869 सालों तक चंपावत को कुमाऊं की राजधानी बनाए रखा। इसके बाद 1563 में चंद राजाओं ने अल्मोड़ा को चुना और अल्मोड़ा में राजधानी की स्थापना की। सन 1872 में इसे तहसील का दर्जा मिला और 15 सितंबर 1997 में इसे जनपद का दर्जा मिला। चंद राजाओं के कार्यकाल में यहां तीन चार सौ अनुमानित घर हुआ करते थे। कुमाऊं की राजधानी ने कुमाऊं मंडल की लाज रख कर साबित कर दिया कि राजधानी के लोग पूरी तरह राजनीतिक सोच वाले होते हैं। सीएम पुष्कर धामी की जीत ने काली कुमाऊं के इतिहास को दोहराकर ये साबित किया है कि राजधानी के लोग ऊंची सोच रखते हैं।

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