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मनोबल तोड़ना कितना उचित! इंस्पेक्टर और एमएलए विवाद पर चर्चा! पढ़ें दिलचस्प खबर

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किच्छा। जनता की समस्या के लिए कोई जन प्रतिनिधि किसी अधिकारी का तबादला करवाए तो बात जनता की समझ में आती है और अधिकारी भी ये मानकर चलता है कि उसने जनता का काम नहीं किया इसलिए उसे दंडित किया गया है लेकिन जब जन प्रतिनिधि अपने स्वाभिमान को लेकर घमंड में चूर चूर होकर किसी अधिकारी का तबादला करवाने के लिए सीएम दरबार में आवाज उठाकर एक पुलिस इंस्पेक्टर का तबादला करवाए तो सवाल उठता है! ये सवाल आजकल विधायक तिलकराज बेहड़ पर उठ रहा है कि आंखिर कोतवाल ने ऐसा क्या कर दिया कि एमएलए को सीएम से कहकर कोतवाल का तबादला करवाया गया! ये सवाल इस लिए उठ रहे हैं कि जब से कोतवाल का तबादला करवाया है तब से अवैध खनन माफिया का बोलबाला फिर से शुरू हो गया है! जनता की उम्मीदों पर खरा उतरने वाले लोग इस तरह की बात करते हैं और एक अधिकारी का दादागिरी से तबादला करवाया हैं तब कोई अधिकारी मन लगाकर काम क्यों करेगा! पुलिस का मनोबल तोड़कर एक जन प्रतिनिधि का सम्मान बचाना कितना उचित है इस पर विचार किया जाना चाहिए। सही बात करने वाला व सही काम करने वाले अधिकारी व कर्मचारी का इसी तरह तबादला उद्योग चला तो कोई भी सरकारी कर्मचारी अधिकारी मन से काम नहीं करेगा। सरकार बिना जांच किए किसी का मनोबल ना गिराए। तिलकराज बेहड़ और इंस्पेक्टर प्रकरण आजकल उधम सिंह नगर में चर्चा का विषय बना हुआ है।

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