हल्द्वानी।
मिनी स्टेडियम, हल्द्वानी में साप्ताहिक योग सप्ताह का आयोजन प्रातः 07 से 08 बजे किया जा रहा है। योग सप्ताह कार्यक्रम के षष्ठम् दिवस में शहर के 47 प्रतिभागियों ने प्रतिभाग कर योग का लाभ उठाया।
योगाचार्य डॉ संयोगिता सिंह ने योगा हेतु उपस्थित प्रतिभागियों को शशांक आसन के रूप में बताया कि इस योग मुद्रा के दौरान शरीर खरगोश के समान आकृति में आ जाता है इसलिए इसे शशकासन भी कहते हैं। संस्कृत भाषा में खरगोश को शशकरू कहा जाता है, इसी आधार पर इस आसन का नाम शशांक आसन पड़ा। यह आसन पेट, कमर व कूल्हों की चर्बी कम करके आंत, यकृत, अग्न्याशय व गुर्दों को बल प्रदान करता है। इसी तरह अनुलोम का अर्थ होता है सीधा और विलोम का अर्थ है उल्टा। यहां पर सीधा का अर्थ है नासिका या नाक का दाहिना छिद्र और उल्टा का अर्थ है-नाक का बायां छिद्र। अर्थात अनुलोम-विलोम प्राणायाम में नाक के दाएं छिद्र से सांस खींचते हैं, तो बायीं नाक के छिद्र से सांस बाहर निकालते है। उन्होने नाड़ी शोधन आसन के बारे मे बताया कि नाडी शब्द का अर्थ है, शक्ति का प्रवाह और शोधन का शुद्ध करना। इसलिए इसका अर्थ वह अभ्यास जिससे शरीर में मौजूद सभी नाड़ियों का शुद्धिकरण होता है। नाड़ीशोधन प्राणायाम से चिंता, तनाव या अनिंद्रा की समस्या से राहत मिलती है। नाड़ीशोधन को अनुलोम-विलोम प्राणायाम के रूप में भी जाना जाता है। उन्होने कहा कपालभाती प्राणायाम करते समय मूलाधार चक्र पर ध्यान केन्द्रित करना होता है। इससे मूलाधार चक्र जाग्रत हो कर कुन्डलिनी शक्ति जाग्रत होने में मदद होती है। कपालभाति प्राणायाम करते समय ऐसा सोचना है कि, हमारे शरीर के सारे नकारात्मक तत्व शरीर से बाहर जा रहे हैं। कपालभाति प्राणायाम के बाद अनुलोम विलोम प्राणायाम अवश्य करें। ऐसा करने से कपालभाति प्राणायाम के लाभ और बढ जाते हैं।
योगाचार्य ने प्रतिभागियों को योग सूरज उगने से पहले और सूर्य डूबने के बाद किसी भी समय किया जा सकता है लेकिन दिन के समय योग न करें। योगासन सुबह के समय करने से अधिक लाभ मिलता है। मगर फिर भी अगर आप किसी कारण से सुबह योग नहीं कर पाएं तो शाम या रात को खाना खाने से आधा घंटा पहले भी कर सकते हैं। यह ध्यान रखें कि आपका पेट भरा न हो। इसलिए भोजन करने के 3-4 घंटे बाद और हल्का नाश्ता लेने के 1 घंटे बाद आप योगासन करें। उन्होने कहा योगासन खुले एवं हवादार कमरे मे करना चाहिए ताकि आप शुद्व हवा ले सकें। योगा करते वक्त मौसमानुसार ढीले वस्त्र पहनना चाहिए ताकि आप सुधापूर्वक आसन कर सकें।
इस अवसर पर जिला नोडल अधिकारी डॉ योगेंद्र सिंह, डॉ त्रिलोक बिष्ट, डॉ मीरा बिष्ट, डॉ रोली जोशी, डा0 पूनम जंगपांगी, डा0 शिवानी जोशी, डा0 बबीता सहित सीआरपीएफ के जवान एवं प्रतिभागी उपस्थित थे।
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