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वो दिन दूर नहीं जब हर शहर में खड़े हो जाएंगे कूड़े के पहाड़! क्या है इसका कारण! पढ़ें खास रिपोर्ट जीवन की कलम से…

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दूरगामी नयन डेस्क

हल्द्वानी । मानव जीवन में उसका सबसे बड़ा कोई दुश्मन है तो वह है प्रदूषण! इसके बावजूद लोग इसका विरोध नहीं करते। आज पूरी दुनियां में कूड़ा निस्तारण एक बड़ी समस्या बनता जा रहा है, इसके मूल में है प्लास्टिक। हर जगह कूड़े के ढेर ये बताने को काफी हैं कि मनुष्य कितना लापरवाह हो गया है अपनी जीवन के प्रति। हर घर, हर होटल, हर अस्पताल, हर उद्योग गंदगी तो अपने से दूर करता है लेकिन इसे वह कहां डाल रहा है ये सोचनीय सवाल मुंह बाएं खड़ा है। कूड़ा निस्तारण की दिशा में कोई गंभीर नजर नहीं आता है। हर कोई अपने घर का कूड़ा दूसरे , के लिए छोड़ दिया करता है। पांच सितारा संस्कृति की बात करें या आम लोगों की तो कोई फर्क नहीं नजर नहीं आता। कूड़े को नष्ट करने की सोच मानो मर सी गई है। पहले भी तो कूड़ा हुआ करता था लेकिन पुराने लोग कूड़े को तत्काल प्रभाव से नष्ट कर दिया करते थे। आज का मनुष्य कूड़ा निस्तारण के बारे में सोचता तक नहीं है। गावों में आज भी लोग कूड़ा निस्तारण करते हैं और जितना कूड़ा होता है उसे जलाकर हर रोज चैन की सांस लेते हैं। बात करें शहरों की तो आज शहरों में लोग कूड़ा फैलाने का काम करते नजर आते हैं। नगर निगम हो या नगर पालिका या फिर नगर पंचायत! कूड़ा गाड़ी का इंतजार करते हैं और कूड़ा गाड़ी कूड़ा कहां फेंक दे कोई पता नहीं। शहरों से निकलने वाले कूड़े को नष्ट कैसे किया जाए ये सवाल आज भी सवाल बनकर खड़ा है। हर शहर के किसी कोने में आपको कूड़े के ढेर नजर आएंगे। ये क्रम जारी रहा तो देश में एक दिन कूड़े के पहाड़ खड़े हो जाएंगे और लोग नई नई बीमारियों से मरने लगेंगे। पीएम नरेन्द्र मोदी ने स्वच्छ भारत का जो संदेश दिया उस पर भी लोग अब ध्यान नहीं दे रहे हैं। भारत की जनता कूड़े को नष्ट क्यों नहीं करना चाहती ये सवाल उठने लगा है। जिसे देखो वो कूड़ा तो करता है लेकिन उसे नष्ट नहीं करता क्यों ? गंदगी से बीमारी होती है सब जानते हैं लेकिन गंदगी को खत्म करने कोई आगे नहीं आता। हर शहर के एक कोने में कूड़े के पहाड़ ये बताने को काफी हैं कि आज का आधुनिक मनुष्य कितना जागरूक है। अपनी सफाई तो हर कोई कर रहा है लेकिन आसपास वह कितनी गंदगी फैला रहा है ये देखने लायक है। हल्द्वानी की ही बात करें तो दश एकड़ जमीन में कूड़ा डाला जाता है जिसे नष्ट करने के लिए तीन करोड़ खर्च होने की बात हो रही है। देश के हर शहर में यही हाल है। जनता नहीं सुधरी तो आने वाले समय में हर जगह कूड़े के पहाड़ खड़े हो जाएंगे।

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