दूरगामी नयन डेस्क
नई दिल्ली।
संसद परिसर में धरना प्रदर्शन को लेकर रोक के सर्कुलर को लेकर जिस तरह विपक्ष हमलावर है उसे देख कह सकते हैं कि ये बेमतलब का हंगामा सस्ती लोकप्रियता के लिए बयानबाजी के सिवा और है तो आने वाला बीस सौ बाइस का चुनाव! मोबाइल में राजनीति हो रही है! हर सरकार में नियम कानून लागू होते हैं हर बार सर्कुलर जारी होता है सिर्फ इस बार क्यों इतनी सियासत होने लगी कि पीएम को विष गुरु कहा जा रहा है। पन्ने बदलने की परंपरा में बदलाव हुआ है, कानून अपना काम करे और नियम को लागू करवाए तो बुराई क्या है! नियमों में कड़ाई हो रही है तो इसमें गलत क्या है! पुराने सर्कुलर पर ही अमल सरकार कर रही है लोकसभा स्पीकर इस बात को साफ कर चुके हैं। कम्युनिस्ट और कांग्रेस इसका विरोध कर रहे हैं! सड़कों पर नहीं मोबाइल पर! बुनियादी मुद्दों पर विपक्ष क्यों चुप है जनता सड़कों पर आने को तैयार नहीं! संसद के मानसून सत्र में विपक्ष कितनी ताकत से सरकार को घेर पाता है ये देखने का विषय है! मोबाइल छाप नेता कितना दम रखते हैं ये सत्र में दिखेगा! सर्कुलर बम सत्र का मुख्य विषय विपक्ष बना सकता है। विपक्ष बुनियादी मुद्दों से दूर जाता है तो ये उसके लिए नुकसान दायक होगा।
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