जीवन की कलम से…
संपादकीय…
मित्रो सपने तो सपने होते हैं वो अपने कब होते हैं ! औरंगजेब के शासन में अपने धर्म व मां बहिनों की आबरु बचाने के लिए हिंदू धर्म के अनुयाई पहाड़ की कंदराओं में छिपने पहाड़ों की सुरंगों में डेरा डालकर धर्म व मां बहिनों की आबरू बचाने में जब विभिन्न जगहों से आए लोग कामयाब हुए तब उन्होंने पहाड़ों को खेती लायक बनाया और गांवों से शहर बस गए! धीरे धीरे समय बदलता गया विभिन्न लोग इस देश पर शासन करते गए और अंग्रेज से मुक्ति पाने में देश सफल हुआ! अंग्रेज ने पहाड़ के गांवों की खोज की विभिन्न झील, पुल, इमारत उनके शासन की गवाह हैं! अंग्रेज के शासन के बाद कांग्रेस ने देश की चाबी लेकर देश चलाया! इंद्रा गांधी तक किसी की दाल नहीं गली! इसके बाद हिंदू धर्म के अनुयाई अपनी यात्रा के मुकाम की तरफ तेजी से बड़े और देश में हिंदू धर्म के अनुयाई सरकार की चाबी लेने में सफल रहे! आज देश में हिंदू सीना तान कर चल रहा है! बुलडोजर साथ चल रहा है। भगवा लहरा रहा है लेकिन दिखने में अब उसका रंग तिरंगा सा है! अब बात करें उत्तराखंड की! औरंग जेब से जिसने हिंदू धर्म बचाया! पहाड़ों को जीने लायक बनाया! पर्यटन स्थल देव भूमि के रूप में पहचान दिलाई! जंगल में मंगल की खोज करने वाले उत्तराखंड के लोगों को कांग्रेस शासन में भी विकास से वंचित रखा गया! कहते हैं एक बार इंद्रा गांधी अल्मोड़ा जिले में रैली में शामिल होने आई थीं तो लोग उनको देखने आए तो महिलाएं पूर्ण श्रंगार में आई थीं! कहते हैं इंद्रा गांधी ने सोचा और कहा पहाड़ तो सोने से लदा है फिर यहां सब ठीक है! इसके बाद उत्तराखंड विकास विभाग का बोर्ड लखनऊ में लगा दिया गया! लखनऊ से हैंड पंप योजना आती थी तो तराई भाभर तक अटक जाती थी! विकास के नाम पर उत्तराखंड के लोगों को खूब ठगा जाता रहा! इसके बाद जनता में अलग राज्य की मांग पनपने लगी! 1952 में पीसी जोशी ने इस मांग को उठाया जिसे लगभग अस्सी के दशक के बाद उत्तराखंड क्रांति दल, उत्तराखंड जन संघर्ष वाहिनी, उत्तराखंड पीपुल्स फ्रंट, महिला संगठन, छात्र संगठन, पूर्व सैनिक संगठन, कर्मचारी संगठन , बेरोजगार संगठन सहित सभी इस मांग में जुड़ते चले गए! 1994 में जो हुआ वो कलंक आज भी धो नहीं सकी है जनता, न्याय आज भी भटक रहा है! राज्य बनने से कैसे विकास होगा इसका खाका तैयार हो गया था और जनता राज्य पाने को कुछ भी करने पर उतर गई! पीएम स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेई ने जनभावना का सम्मान किया और सन 2000 में राज्य बना और नित्यानंद स्वामी जी को सीएम मनोनित किया गया! जनता बेहद खुश थी और अटल बिहारी वाजपेई जी को समर्पित सी हो गई! इसके बाद पहला चुनाव हुआ! हरीश रावत ने खूब मेहनत की ओर कांग्रेस जीत गई! रावत सीएम बने हुए दरकिनार कर पंडित नारायण दत्त तिवारी जहाज से आ गए और रात जी पांच साल लेटर बम फोड़ते रहे! अटल बिहारी वाजपेई जी ने जमकर नोटों की सरकार पर बरसात कर दी! खूब नोट आए और सिडकुल बना! तिवारी जी के शासन में शामिल होने आए यूपी सरकार के उनके साथी सब देहरादून आ गए और देहरादून को ही राजधानी के रूप में तय मान लिया! जनता की हार तो राज्य के जन्म में ही हो गई जब देहरादून में जाकर सरकार बैठ गई! अब देहरादून में जो सरकार चली उसमें नोछमी जैसे गीत प्रकट हुए! पश्चिमी सभ्यता को यहां स्थापित किया गया और नेताओं का नंगा नाच जनता देख कर भी सहती रही! उत्तराखंड को लूटो और वोटों को चुनाव के समय किसी तरह खरीदो वाली लोकतांत्रिक नई व्यवस्था का उत्तराखंड में जन्म हुआ! पहाड़ के पानी और पहाड़ की जवानी को बचाने, पहाड़ को रोजगार देने, पुल, रोड, स्कूल, अस्पताल, उत्तराखंडी संस्कृति सब दरकिनार हो गई! राज्य बनने के बाद हर पांच साल में सत्तर प्रतिशत नेता और उनके परिजनों को लाभ हुआ! इसका प्रमाण भर्ती घोटाला है जिसमें नेता क्या कर रहे हैं दिख रहा है। राज्य बनने के बाद जितने रोजगार निकले उतने हाकिम और नेताओं के परिजन रोजगार पाने और दिलाने में सफल रहे हैं ! तू डाल डाल तो मैं पात पात वाली कहावत यहां चरितार्थ हो रही है! बाइस सालों में ये ही होता रहा! विकास कार्य में कमीशन पंद्रह प्रतिशत से तीस प्रतिशत तक जब जायेगा तब ठेकेदार कैसा विकास कार्य करेगा समझा जा सकता है! सिडकुल में रोजगार मिलता स्थाई तो फिर भी कुछ उम्मीद होती! सिडकुल को ठेका कमीशनखोरी का अड्डा बनाया गया! उद्योगों से नेताओं ने जमकर नोटों की वसूली की जिससे आधे उद्योग भाग गए! अब युवा सीएम पुष्कर धामी सरकार की चाबुक चली तो कांग्रेस, भाजपा, यूकेडी सहित कई नामचीनों की रात्वकी नींद उड़ गई है! जांच ने नेताओं भ्रष्टाचारियों की नींद हराम कर दी है! हर रोज पकड़े जा रहे हैं! सीएम पुष्कर धामी ने कहा है सरकार किसी के आगे झुकेगी नहीं चाही कोई हो अपराधी जेल जायेगा! सरकार के साथ ही नेता विपक्ष भुवन कापड़ी की चाबुक भी अदालत में नया गुल खिला रही है! जनता ने जिस उम्मीद से राज्य के लिए संघर्ष किया वो सपने नेताओं ने धूल धूसरित कर दिए हैं। :जीवन जोशी:
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