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हल्द्वानी- जोहार महोत्सव में रंगमच के कलाकारों ने लगाए चार चाँद, पारंपरिक वेशभूषा में एक छोटी सी सांस्कृतिक झांकी से हुई शुरुआत…

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हल्द्वानी-हल्द्वानी एमबी इंटर कॉलेज से लगे क्षेत्र में मानो शनिवार को पूरी जोहार संस्कृति उतर आई हो। दीवारों पर बड़े-बड़े पोस्टरों में दिख रहे घाटी के गांवों को देखकर शायद ही कोई होगा, जो ठहरा न हो। दिन में मुख्य अतिथि मेयर डॉ.जोगेन्द्र पाल सिंह रौतेला ने कार्यक्रम का शुभारंभ किया और देर रात तक जोहार और मिलम जैसी अपनी माटी की घाटियों से जुड़े गीत आसमान में गूंजते रहे। कोरोना के बाद इस साल जोहार महोत्सव अपने पूरे रंग में नजर आया है।

जोहार सांस्कृतिक एवं वेलफेयर सोसायटी हल्द्वानी की ओर से आयोजित दो दिवसीय महोत्सव पारंपरिक वेशभूषा में एक छोटी सी सांस्कृतिक झांकी से हुई। इस यात्रा में शामिल चार-चार पीढ़ियां अपनी जड़ों से जुड़े होने का संदेश दे रही थीं। जोहारी गीतों के शब्द और वाद्य यंत्रों की धुन से पता चल रहा था कि तमाम संघर्षों के बावजूद समाज सांस्कृतिक रूप से कितना समृद्ध है। धारचूला की रं संस्कृति रंग भी यहां दिखे। शाम के मुख्य आकर्षण हेमंत पांडे ने कुमाउनी में जी रैया जाग रैया का संदेश दिया। पद्मश्री बसंती बिष्ट ने कहा कि जोहार समाज से जुड़ने की उनकी तमंन्ना हमेशा से रही, आज जोहार महोत्सव में आकर मन खुश हो गया।

● 10 बजे सुबह – पेटिंग प्रतियोगिता

● 1130 बजे से – बच्चों का फैंसी ड्रेस शो

● 1200 बजे दोपहर से – जनजातीय वेशभूषा शो व कैटवॉक

● 1230 बजे से – महिलाओं की जोहारी शौका व्यंजन प्रतियोगिता

● 0130 बजे से – महिलाओं/ पुरुषों का झोड़ा चाचरी

● 04 बजे से – सांस्कृतिक संध्या

● 0800 बजे से – प्रख्यात कलाकारों की प्रस्तुति

सड़क किनारे दीवारों पर सजे घाटी के गांव

महोत्सव स्थल के बाहर भारत-तिब्बत सीमा से लगे 12 भारतीय जोहारी शौकाओं के गांवों की फोटो गैलरी आकर्षक का केंद्र रही। इन 12 गांवों में मिलम, बिल्जू, बुर्फू, टोला, पांछू, गंघर, मापा, मर्तोली, रिलकोट, लास्पा, बोगड्यार (थौर) और ल्वां शामिल हैं। लोग अपने-अपने गांव की फोटो के साथ सेल्फी लेते नजर आए।

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उत्पाद कीमत

मुनस्यारी राजमा 250-850

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काले चावल 130

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(नोट कीमत प्रति किलो रुपये में)

12वें महोत्सव का सफर तय किया

एमबी इंटर कॉलेज मैदान में जोहार समाज अपना 12वां महोत्सव मना रहा है। पहाड़ छोड़कर मैदानों में आ बसे लोग इसे हर साल और बेहतर करते जा रहे हैं। शनिवार को भी कई लोक कलाकारों ने प्रस्तुति दी। पहाड़ के संस्कृति से लेकर पहाड़ के दर्द और विकास को अपने गीत व नृत्य के माध्यम से प्रख्यात कलाकार प्रह्लाद मेहरा, गोविंद दिगारी, कैलाश कुमार एवं नैना सांस्कृतिक मंच के कलाकारों ने प्रस्तुत किया।

‘मनौती’ पुस्तक का विमोचन किया

कार्यक्रम में मेयर ने सोसायटी के संरक्षक गजेन्द्र सिंह पांगती द्वारा लिखी गई पुस्तक मनौती का विमोचन भी किया। जिसमें जोहार संस्कृति और वहां की मान्यताओं के बारे में बताया गया है। पांगती ने बताया कि पुस्तक में लोक गाथाओं के बारे में विस्तार से वर्णन किया गया है।

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