बिंदुखत्ता। लालकुआं विधानसभा की रीढ जिसे कहा जाता है उसकाये हाल है कि अस्सी हजार आबादी को राजस्व गांव नहीं होने के कारण देश की किसी भी लाभकारी महत्व पूर्ण योजना का लाभ नहीं मिलता। आजादी से पूर्व का इतिहास बताता है कि 1935 से पूर्व खत्ते थे। बिंदुखत्ता की जनता को मनरेगा , पीएम किसान निधि जैसी सभी राजस्व विभाग की योजना से वंचित रहना पड़ता है। है साल गौला नदी की त्रासदी का दंश जनता को उजाड़ की तरफ धकेल रहा है। जनता को स्कूल, कंट्रोल, बिजली, सड़क, अस्पताल, वोट का अधिकार मिल गया, सांसद, विधायक जनता बना सकती है लेकिन गांव के विकास और पंचायत का विकास के लिए ग्राम प्रधान नहीं चुन सकती। राजस्व गांव संघर्ष समिति का कहना है छब्बीस जनवरी तक कोई निर्णय नहीं हुआ तो जनता सड़कों पर उतरने को मजबूर होगी। जनता को विश्वास है विधायक डा मोहन बिष्ट राजस्व गांव बनाने के लिए मजबूत पहल करेंगे। इधर समाज सेवी लोगों की राय लेने पर अपने अपने विचार आंदोलन के दौरान तपे लोग रखते हैं। गोविंद बल्लभ भट्ट सामाजिक कार्यकर्ता इंद्रा नगर से बातचीत हुई तो उनका कहना है कि एकता के बिना कुछ भी संभव नहीं है।
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