दूरगामी नयन डेस्क
देहरादून। देश में एक समय था जब सभी तरह का उत्पादन जैविक ढंग से होता था। लोग पशु पालन दूध के लिए कम गोबर के लिए अधिक किया करते थे जिससे जैविक खेती हुआ करती थी और मनुष्य स्वस्थ रहता था! आज दूध से लेकर सब्जी में तक यूरिया रासायनिक खाद डाली जा रही हैं जिससे बीमारी भी हाईब्रेट होने लगी हैं। आजादी के बाद कृषि में अत्यधिक उत्पादन की होड़ ने धरती की मिट्टी को ही रासायनिक खाद में बदल दिया है जो चिंता जनक है!
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आज देहरादून स्थित एक होटल में उत्तराखण्ड जैविक उत्पाद परिषद द्वारा आयोजित कार्यशाला में प्रतिभाग करते हुए कहा कि केंद्र और राज्य सरकार द्वारा उत्तराखण्ड को जैविक राज्य के रूप में पहचान दिलाने के लिए प्रभावी पहल की जा रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश को जैविक कृषि के क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने के लिए इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ ऑर्गेनिक एग्रीकल्चर मूवमेंट (IFOAM) जैसी अंतरराष्ट्रीय संस्था के सहयोग से आर्गेनिक कार्यशाला का आयोजन समृद्ध उत्तराखण्ड निर्माण की संकल्पना को सार्थक करेगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछले वर्षों में प्रदेश ने जैविक कृषि के क्षेत्र में नई ऊंचाइयों को छुआ है। उत्तराखण्ड के 34 प्रतिशत भू-भाग में जैविक कृषि की जा रही है। राज्य सरकार 11 पर्वतीय जिलों को पूर्ण जैविक जनपदों में परिवर्तित करने के लिए प्रयासरत है।
इस दौरान कृषि मंत्री गणेश जोशी, सचिव कृषि बी.वी.आर.सी पुरुषोत्तम, निदेशक राष्ट्रीय जैविक एवं प्राकृतिक खेती डॉ. गगन शर्मा, IFOAM के अध्यक्ष गबौर फिगैक्सकी, सीनियर मैनेजर पैट्रीसिया फ्लोरेस, कृषि निदेशक गौरी शंकर सहित कई लोग मौजूद रहे।
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