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गण और तंत्र में बढ़ती दूरी के लिए जिम्मेदार कौन ? पढ़ें गणतंत्र दिवस समारोह से पूर्व देश के युवा की पीड़ा जीवन की कलम से…

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फाइल फोटो

स्पादकीय
जीवन की कलम से…
गण और तंत्र से बना गणतंत्र!
आजादी के बाद से ही हम गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस समारोह मानते आ रहे हैं! हर साल लालकिले से देश के प्रधानमंत्री जनता को संबोधित करते हैं लेकिन समस्या आज भी वहीं दिखती है जहां से परंपरा प्रारंभ हुई थी! गरीबी हटाने का वादा पहली बार लालकिले से 1948 में हुआ था जो आज तक चल रहा है! समान नागरिक समान अधिकार की बात 1950 में उठी जो आज तक पूरी नहीं हुई! आरक्षण की हर दस साल में समीक्षा की बात हुई थी जो आज तक खाई बनकर खड़ी है! हर हाथ को काम और हर खेत को पानी देने के वादे आज तक वादे बनकर खड़े हैं! स्कूल कालेज से निकलने वाला युवा वर्ग रोजगार के लिए दर दर भटक रहा है तो ये किसका कसूर है ? आजादी के बाद से सत्ता में रहे लोग देश की दुर्दशा के लिए सीधे सीधे जिम्मेदार हैं जिन्होंने गणतंत्र से गण को दूर करने का काम किया और तंत्र की मनोपोली चलती रही! कुछ लोगों के हित साधे जाते रहे! देश में हर साल गणतंत्र दिवस पर पीएम समस्या दूर करने सहित कई विषयों पर बोलते हैं लेकिन आज तक धरातल पर बहुत कुछ बदल जाना चाहिए था जो नहीं बदला! मोदी सरकार ने राम मंदिर कहा था बना दिया, धारा 370 हटा दी! अब बेरोजगारी पर सरकार को बड़ा निर्णय लेना होगा! आजादी के बाद से अब तक युवा नीति, रोजगार नीति पर खुलकर बात नहीं हो सकी! युवा जब देश का भविष्य है तो उसे सत्ता के केंद्र में रखकर क्यों नहीं नीतियों को अमलीजामा पहनाया जाता! सत्ता हस्तांतरित होने के बाद से आज तक युवा के भविष्य पर महत्व पूर्ण योजना नहीं बन सकी! स्कूल कालेज से निकल कर रोजगार नहीं मिलता तो डिग्री का युवा क्या करेगा ? युवा शक्ति अपने को जन ठगा सा महसूस करने लगे तो क्या कहेंगे इस देश के सत्ता धारी जिन्होंने आजादी से आज तक युवा को चुनाव में प्रचार की ताकत बनाए रखने तक सीमित रखा! देश के गणतंत्र में गण गायब न हो इसके लिए सबको नए संकल्प के साथ आगे बढ़ना होगा। भारत के गणतंत्र की मजबूती के लिए मजबूत पहल करनी होगी।
संपादक।

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