

नई दिल्ली। आज पुलिस ने एक अजीबो गरीब तरह के अपराधी को दबोचने में सफलता हासिल कर ली है। जानकारी के अनुसार *डॉक्टर डेथ* के नाम से कुख्यात सीरियल किलर आखिरकार पुलिस की गिरफ्त में आ ही गया ।
बताते चलें कि पकड़ा गया आरोपी लोगों की हत्या करके उनके शव को नहर में फेंक देता था और मगरमच्छ शव को खा जाते थे।
पुलिस के अनुसार दिल्ली पुलिस ने पिछले साल पैरोल पर भागने के बाद उसे राजस्थान के दौसा स्थित एक आश्रम से गिरफ्तार किया है। जहां यह अपनी पहचान छुपाकर पुलिस से बचने के लिए एक पुजारी के रूप में रह रहा था।
इस कुख्यात अपराधी के बारे में बताया गया कि जो आयुर्वेद चिकित्सक से अपराधी बना 67 वर्षीय देवेन्द्र शर्मा को कई हत्या के मामलों में दोषी ठहराया गया था।
वह शवों को उत्तर प्रदेश के कासगंज में हजारा नहर के मगरमच्छों से भरे पानी में फेंकने के लिए कुख्यात था। इसे दिल्ली, राजस्थान और हरियाणा में सात अलग-अलग मामलों में आजीवन कारावास की सजा सुनाई जा चुकी है।
बताते चलें गुड़गांव की एक अदालत ने तो इसे मृत्युदंड की सजा भी सुनाइ है।पुलिस उपायुक्त (अपराध शाखा) आदित्य गौतम ने बताया कि बीएएमएस (आयुर्वेदिक चिकित्सा और सर्जरी में स्नातक) डिग्री धारक देवेंद्र शर्मा 2002 से 2004 के बीच कई टैक्सी और ट्रक चालकों की नृशंस हत्याओं के लिए तिहाड़ जेल में आजीवन कारावास की सजा काट रहा था।
वह अगस्त 2023 में पैरोल पर छूटकर आया था, डीसीपी गौतम ने बताया शर्मा और उसके साथी फर्जी ट्रिप के लिए ड्राइवरों को बुलाते थे, उनकी हत्या करते थे और उनके वाहनों को ग्रे मार्केट में बेच देते थे।
इसके बाद शवों को मगरमच्छों की आबादी के लिए मशहूर हजारा नहर में फेंक दिया जाता था, ताकि सारे सबूत मिटा दिए जाएं।
इस अधिकारी ने बताया कि शर्मा का लंबा आपराधिक इतिहास है, जिसमें हत्या, अपहरण और डकैती के कम से कम 27 मामले शामिल हैं।
वह पहली बार 1998 और 2004 के बीच अवैध किडनी प्रत्यारोपण रैकेट चलाने के लिए कुख्यात हुआ था। उसने कई राज्यों में डॉक्टरों और बिचौलियों की मदद से 125 से अधिक अवैध प्रत्यारोपण कराने की बात कबूल की थी।
1994 में एक असफल गैस डीलरशिप डील में भारी वित्तीय नुकसान उठाने के बाद शर्मा ने अपराध की दुनिया में कदम रखा। एक साल बाद, उसने एक नकली गैस एजेंसी चलाना शुरू किया और बाद में अवैध अंग व्यापार में शामिल हो गया।
उसके बाद उसके आपराधिक काम टैक्सी ड्राइवरों की लक्षित हत्याओं तक फैल गए। उनकी कार्यप्रणाली में टैक्सी किराए पर लेना, ड्राइवरों की हत्या करना और उनके वाहनों को ग्रे मार्केट में बेचना शामिल था।
शवों को मगरमच्छों को खिला दिया जाता था। शर्मा को 2004 में किडनी रैकेट और सिलसिलेवार हत्याओं के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया था।
बताया जाता है कि उसे दिल्ली, राजस्थान और हरियाणा में सात अलग-अलग हत्या के मामलों में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी और एक मामले में गुड़गांव की अदालत ने उसे मृत्युदंड भी दिया था।
पुलिस का मानना है कि वह 50 से अधिक हत्याओं के लिए जिम्मेदार है भगोडा रहने के दौरान शर्मा राजस्थान के दौसा स्थित एक आश्रम में पुजारी के वेश में रह रहा था।
डीसीपी ने कहा शर्मा ने तिहाड़ जेल में अपनी सजा काटते हुए अगस्त 2023 में पैरोल की अवधि पूरी कर ली थी और तब से वह फरार था।
क्राइम ब्रांच को उसकी तलाश का काम सौंपा गया था। अलीगढ़, जयपुर, दिल्ली, आगरा और प्रयागराज सहित कई शहरों में छह महीने तक चले अभियान के बाद टीम ने उसे दौसा के एक आश्रम में ट्रैक किया।
जहां वह झूठी पहचान के साथ आध्यात्मिक व्यक्ति के रूप में रह रहा था। यह पहली बार नहीं है जब शर्मा पैरोल पर छूटकर फरार हुआ हो।
2020 में भी वह 20 दिन की पैरोल के बाद वापस नहीं लौटा और दिल्ली में पकड़े जाने से पहले सात महीने तक फरार रहा।
जून 2023 में, उसे सरिता विहार थाने में दर्ज एक मामले में फिर से दो महीने की पैरोल दी गई, लेकिन वह 3 अगस्त 2023 के बाद गायब हो गया। आज पुलिस ने काफी मशक्कत करने के बाद इस खतरनाक अपराधी को दबोचने में सफलता हासिल की है।
 
 
 
 
 
 
 








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