

*नीचे दी गई कविता के माध्यम से, कवि यह कहना चाहते हैं कि* पहाड़ की युवतियों का तराई क्षेत्र (भाभर) में शादी करने के लिए पलायन दुखद है और यह पहाड़ी संस्कृति, प्राकृतिक सौंदर्य और सामाजिक मूल्यों की उपेक्षा है। वह युवाओं से अपनी जड़ों को न छोड़ने और पहाड़ में ही अपना जीवन बसाने का आग्रह करते हैं, ताकि पहाड़ खाली न हों और उनकी पहचान बनी रहे। *इस कविता से हमें यह सीख मिल रही है* -: यह कविता हमें अपनी संस्कृति और जड़ों से जुड़े रहने, पलायन के नकारात्मक प्रभावों को समझने, बाहरी आकर्षणों से सावधान रहने, पारिवारिक मूल्यों का सम्मान करने और अपने समुदाय के प्रति जिम्मेदार होने की सीख देती है। यह हमें अपने क्षेत्रों के विकास के लिए सोचने और कार्य करने के लिए भी प्रेरित करती है।
*भाभर में डेरा क्यों ना होगा फेरा*


कवि गोकुलानन्द जोशी पता – करासमाफ़ी काफलीगैर बागेश्वर वर्तमान पता -बिंदुखत्ता लालकुआं नैनीताल


























लेटैस्ट न्यूज़ अपडेट पाने हेतु -
👉 हमारे व्हाट्सऐप ग्रुप से जुड़ें
👉 यूट्यूब चैनल सबस्क्राइब करें
👉 न्यूज अपडेट पाने के लिए 8218146590, 9758935377 को अपने व्हाट्सएप ग्रुप में जोड़ें
More Stories
ब्रेकिंग न्यूज: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के जन्म दिवस 17 सितम्बर से लेकर 2 अक्टूबर गांधी जयंती तक प्रदेश भर में सेवा पखवाड़ा आयोजित किया जाएगा! पढ़ें सीएम ने क्या दिए निर्देश…
ब्रेकिंग न्यूज: आपदा के दौरान गर्भवती महिलाओं की हो रही स्थलीय मॉनिटरिंग! पढ़ें आपदा प्रबंधन…
नैनीताल:लालकुआं की सीमा को मिलेगा तीलू रौतेली पुरस्कार….