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लालकुआं निकाय चुनाव पर * प्रधान संपादक पत्रकार जीवन जोशी* की धरातल से रिपोर्ट! पढ़ें उत्तराखंड की किस प्रतिभा ने कैसे किया था राजनीति के धुरंधर को पैदल…चुनाव

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लालकुआं। चर्चा है कि इस निकाय चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी का बढ़ता जनाधार कुछ नया गुल भी खिला सकता है! हर तरफ चर्चाओं का बाजार है हर कोई अपना अपना प्रयास कर रहा है जिसके ताज बंधन के योग होंगे वह लालकुआं का चेयरमैन और सभासद बनेगा। पढ़ें::

*हिंदी साप्ताहिक दूरगामी नयन की टीम * लालकुआं निकाय चुनाव पर लगातार जनता और जन प्रतिनिधियों के साथ धरातल पर डटी हुई है! हर मतदाता तक पहुंचने का प्रयास कर रहे प्रत्याशियों की लगातार अपडेट ले रहे हैं और जनता का मन टटोल रहे हैं कि जनता इस बार क्या गुल खिलाएगी ?

अब तक मतदाता ने अपनी चुप्पी नहीं तोड़ी है! बार बार जनसंपर्क से मतदाता अपनी अहमियत समझने लगे हैं! कोई बिजली का बिल भर दो कह रहा है तो कोई मकान किराया माफ करो कह रहा है! और कोई शाम को गला तर करने को जुगाड कर रहा है!

इसके इतर मतदाता के बीच लालकुआं में अब तक सुरेन्द्र लोटनी ने जिस अंदाज में लालकुआं में अपना पीला झंडा फहराया है और लोगों के बीच जगह बनाने वाले काम कर रखे हैं उसे देख हरेंद्र बोरा की भीड़ याद जाती है! भीड़ को वोटो में कन्वर्ट करना बहुत कठिन है!

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हरेंद्र बोरा की भीड़ वोटो में कन्वर्ट हुई होती, उनके पास सलाहकार सही होते तो हरेंद्र बोरा भी पेंशन ले रहे होते अभी! लेकिन उनका नशा आज भी जीवंत नजर आता है! कहावत है सलामी तोपों से ही होगी! सलाहकार जिसके सही होते हैं वह कभी हार का मुंह नहीं देखता!

भीड़ से मतदाता का अंदाज जिसने लगाया वह ओवर कॉन्फिडेंस कहलाता है! धरातल पर कितना काम किया, लोगों से किस अंदाज में हमने मुलाकात की है और हम उसे कितना आकर्षित कर पाए ये महत्वपूर्ण है!

लालकुआं में अभी प्रचार चरम पर चल रहा है लेकिन समीकरण चुनाव की पहली रात को बिगड़ते देखे हैं इसलिए अपने मतदाता का किसने कितना ब्रेन वाश किया है ये भी महत्वपूर्ण होगा! पैसा काफी नहीं इंसान का जमीर जिंदा होना चाहिए! जो इंसान जीन्स की पेंट और जैकेट बनकर हेंगर में टांगकर बिकने वाला हो वह ईमानदार आदमी कभी नहीं बन सकता!

जिसके साथ हैं उसके साथ धोखा ,करना गलत होता है जिसका अंजाम भी बुरा होता है!

जिस प्रत्याशी में आकर्षण होगा वह बाजी मार लेगा वाली कहावत चरितार्थ हो सकती है सिर्फ प्रयोग पर निर्भर करता है!

मतदाता से किस अंदाज में हम मिले उसको क्या हम पढ़ पाए ? मिलने और एक मिनट में आपको सवाल हल करना है राजनीति भी एक गणित है! आप जितनी जल्दी अपनी बात समझा पाएं ये आपके टेलेंट पर निर्भर करता है!

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डॉ मोहन बिष्ट एक साधारण किसान परिवार के बेटे ने अपने धरातलीय प्रयास और लगन को आत्म सात किया है ये उदाहरण है ? पूर्व केंद्रीय मंत्री, पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत को हार का स्वाद चखाने के लिए कितना धरातल पर काम किया होगा डॉ मोहन बिष्ट ने ये भी विचारणीय है! कहते हैं घर की मुर्गी दाल बराबर! डॉ मोहन बिष्ट एक प्रतिभा हैं इस प्रदेश में जिसने राजनीति के धुरंधर हरीश रावत को धराशाई कर दिया जबकि हरीश रावत ने अपार खर्चा किया था।

लगन और समाज सेवा का भाव जिसमें घर कर गया वह अपनी मंजिल पा ही लेता है चाहे पहाड़ कितना ही ऊंचा क्यों न हो। जिसने जनता का दिल जीत लिया उसे जनता निराश नहीं करती ये राजनीति का कूटनीतिक गुण है।

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