लालकुआं। गौला नदी से जुड़े गरीब तबके के सामने रोजी रोटी का संकट उत्पन्न हो गया है लेकिन गौला नदी सियासत की वादियों में हिचगोले खा रही है! सरकार ने अपनी तरफ से नदी खोल दी लेकिन वाहन स्वामियों और स्टोन क्रशर स्वामियों के बीच अब टकराव शुरू हो गया है।
वाहन मालिकों का कहना है उनको उचित भाड़ा नहीं मिला तो वह चक्का जाम रखेंगे! उधर नदी से रोजगार करने की चाहत में जिन बेरोजगारों ने ऋण लेकर वाहन लिए हैं उनके वाहन फाइनेंस कंपनी खींच रही है!
मजदूर, दुकानदार, हाट बाजार कारोबारी सब मंदी का जीवन बिता रहे हैं! रेहड़ी लगाकर खाना बेचने वाले, सत्तू, चना बेचने वाले तक इससे प्रभावित हैं! नदी के गेटों पर जो दुकानें हैं वह सुनसान पड़ी हैं दुकानदार हर रोज वन विभाग के अधिकारियों से संपर्क कर पूछते हैं साहब नदी कब खुलेगी ? नदी से वाहन स्वामियों को बचत नहीं होगी तो वह हड़ताल पर रहेंगे तो इस स्थिति में अन्य गरीबों का क्या होगा जो नदी से ही अपना परिवार चलाया करते हैं! पेट्रोल पंप, वाहन मिस्त्री, स्पेयर पार्ट्स और तो और हवा भरने वाला तक बेरोजगार बैठा है।
हर निकासी गेट पर सैकड़ों मजदूर परिवार बसे हैं वह किस तरह जीवन यापन कर रहे हैं इस ओर न वाहन मालिक देख रहे हैं और न विभाग ही उनकी सुध ले रहा है। वाहन स्वामियों का कहना है उनको उचित भाड़ा नहीं मिला तो वह आंदोलन जारी रखेंगे!
सरकार को इस वर्ष अब तक पांच सौ करोड़ के करीब राजस्व की हानि हो चुकी है! सरकारी खजाने में भी इससे नुकसान हो रहा है तो वहीं गरीब तबका भी इससे सीधे प्रभावित हो रहा है। सरकार को चाहिए कि वह किसी तरह इस मामले को गंभीरता से लेते हुए सुलझाए!
प्रशासन को भी चाहिए कि वह सभी पक्षों को बिठाकर मामले का हल निकाले जिससे सरकार को हो रही हानि को बचाया जा सके। इधर नदी नहीं खुलने से बाढ़ नियंत्रण के लिए तटबंध भी नहीं बने हैं जिससे तटीय भाग के लोग चिंतित हैं।
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