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पहाड़ के दर्द को लेकर एक दिवसीय चिंतन बैठक! पढ़ें क्या कुछ कहा जानकारों ने…

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दूरगामी नयन डेस्क

नैनीताल। हिमालई राज्यों की चिंता को लेकर यहां एक कार्यशाला का आयोजन किया गया। क्षमता निमार्ण के लिए पहाड़ों में आपदा प्रतिरोध की आवश्यकता विषयक राष्ट्रीय कार्यशाला डॉ0 रघुनन्दन सिंह टोलिया उत्तराखण्ड प्रशासन अकादमी, नैनीताल व राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान, नई दिल्ली के संयुक्त तत्वाधान में दिन शुक्रवार को एक दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया गया।

कार्यशाला के उद्घाटन सत्र पर बीपी पाण्डे, महानिदेशक डॉ0 आरएसटी उत्तराखण्ड प्रशासन अकादमी, नैनीताल प्रो0 संतोष कुमार, विभागाध्यक्ष, जीआईडीआरआर राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान नई दिल्ली डॉ0 रवि चोपड़ा, निदेशक पीपुल्स साइंस इंस्टीट्यूट देहरादून एवं संयुक्त निदेशक(प्रशासन) अकादमी प्रकाश चन्द्र द्वारा कार्यशाला का विधिवत् उद्घाटन दीप प्रज्वलित कर किया गया।

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भारत वर्ष के हिमालयी राज्यों में निरन्तर बढ़ती हुयी आपदा व क्षति को मदद्ेनजर रखते हुए संस्थागत स्तर पर तैयारियांे व क्षमता निर्माण सम्बन्धित विषयों पर विषय विशेषज्ञों के साथ पैनल डिस्कसन द्वारा चिंतन मंथन किया गया।

कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य देश के विभिन्न पर्वतीय राज्यों में आपदाओं की रोकथाम व क्षमता निर्माण तथा दीर्घकालिक उपायों को समावेशित करते हुए एक ठोस रणनीति तैयार करनी है, ताकि भविष्य में हिमालयन इंस्टीट्यूट ऑफ डिजास्टर मैनेजमेन्ट के अन्तर्गत सुनियोजित कार्यवाही की जा सकें। कार्यशाला में विभिन्न प्रतिष्ठित संस्थानों के विशेषज्ञों आईएमडी, आईआईआरएस, बीआरओ, एनएचएआई, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, आईआईटी, रूड़की, वाडिया इंस्टीट्यूट, जीबी पंत कोसी कटारमल, कुमाऊँ विश्वविद्यालय, सीबीआरआई व विभिन्न प्रशासनिक अकादमी हिमांचल प्रदेश व जम्मू कश्मिर द्वारा प्रतिभाग किया गया।

पैनेलिस्ट में डॉ सुबीर सैन आईआईटी रूड़की, डॉ सीएम भट्ट आईआईआरएस देहरादून, डॉ विक्रम गुप्ता वाडिया देहरादून, कल्याण सिंह रावत पर्यावरणविद, डॉ0 आनन्द शर्मा, प्रो0 गिरीजा पाण्डे यूओयू हल्द्वानी, एम विनोद वैज्ञानिक, सीबीआरआई डॉ0 कपिल जोशी, प्रो0 जेएस रावत के साथ समस्त बुद्विजीवी के द्वारा हिमालयी राज्यों को बढ़ती हुई आपदाओं पर चिन्ता व्यक्त करने के साथ सलाहें दी कि जोखिम को कम करने के लिए एक ठोस रणनीति बनाने की आवश्यकता है।

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आपदा प्रबन्धन जैसे विषय को पाठ्यक्रमों में सम्मलित कर इसको ग्रामीण स्तर पर भी ले आया जाय। ग्रासरूट लेवल तक क्षमता विकास किया जाय, ताकि न्यूनीकरण समय से किया जाय। उपरोक्त वर्कशाप में जोशीमठ भू-धसाव पर भी चर्चा की गयी। इस अवसर पर अकादमी के उपनिदेशक वीके सिंह, प्रभारी(आ0प्र0) डॉ0 ओमप्रकाश, डॉ0 मंजू पाण्डे, डॉ0 प्रियंका त्यागी, सुश्री रागिनी उपस्थित रहे। मंच का संचालन डॉ मंजू पाण्डे ने किया।

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