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बिंदुखत्ता राजस्व गांव के लिए 1993/94 में तीन माह तक राजस्व विभाग ने की थी सर्वे! डीएम आराधना जौहरी और एसडीएम शकुंतला गौतम ने करवाई थी सर्वे! पढ़ें पंडित नारायण दत्त तिवारी का योगदान…

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बिन्दुखत्ता। आज यहां जो कुछ भी है उसका श्रेय पंडित नारायण दत्त तिवारी को जाता है! उनका आशीर्वाद रहा तो दूसरी ओर क्रांतिकारी कदम बिन्दुखत्ता का वजूद बचाने के लिए मजबूत संघर्ष करते थे जिससे मजबूर होकर सरकार को जनता को राशन कार्ड देने पड़े!

दुग्ध उत्पादन मुख्य व्यवसाय होता था जो आज भी बिन्दुखत्ता का प्रमुख कारोबार है! पंडित नारायण दत्त तिवारी ने अपने कार्यकाल में इस क्षेत्र की सड़कों को जहां बनाया वहीं थ्री फेश लाइन खींचकर बिन्दुखत्ता को आत्मनिर्भर बनाने का काम किया जिससे आज लघु उद्योग स्थापित हैं लोग रोजगार पा रहे हैं!

उनकी बनाई सड़कों में उनके बाद टल्ले तक पूरी तरह कोई अब तक नहीं लगा सका! आंतरिक मार्ग की कुल लंबाई जोड़ी जाए जो पंडित नारायण दत्त तिवारी के शासन में बनी तो 350 किलोमीटर है!

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उनके शासन में दर्जनों स्थानों पर तटबंध बने जिससे आज तक कुछ सहारा है उसके बाद बने हर साल तटबंध लेकिन भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गए! पंडित नारायण दत्त तिवारी के शासन में बनी पुल लोगों को मुख्य सड़क से जोड़ गई वरना कई कई किलोमीटर घूमकर मुख्य सड़क तक जाना पड़ता था।

उन्होंने इसे वन गांव बनाए जाने की पहल करते हुए वनाधिकार कानून 2006 के तहत सुविधा देने का मन बनाया था वन गांव के फार्म भी आए लेकिन कुछ जन्मजात विरोधी लोगों ने उस समय वन गांव का जबदस्त विरोध कर पंडित नारायण दत्त तिवारी को बिंदुखत्ता विरोधी तक कह डाला था!

बिंदुखत्ता की वर्षों पुरानी मांग है राजस्व गांव इसके लिए उत्तराखंड राज्य बनने से पूर्व अविभाजित उत्तरप्रदेश सरकार ने 1993/94 में तीन माह तक राजस्व विभाग के दर्जनों लोगों को भेजकर सर्वे भी करवाई थी ! उस समय जिलाधिकारी आराधना जौहरी जिलाधिकारी थी और एसडीएम शकुंतला गौतम थीं! एसडीएम शकुंतला गौतम की देखरेख में तीन माह तक राजस्व विभाग ने चैन डालकर सर्वे की थी।

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इसी दौरान उत्तराखंड आंदोलन चल पड़ा और प्रशासन भी आंदोलन को झेलने में जुट गया तो जनता भी राज्य आंदोलन में जुट गई! इसके बाद अलग राज्य 2000 में मिला तो लोगों की उम्मीद जगी कि अब अपना राज्य बन गया है और हमारे राज्य में वन क्षेत्रफल मानक से अधिक है इसलिए राजस्व गांव बन जायेगा! लेकिन जनता को क्या पता था कि सर्वे जो यूपी सरकार के समय हुई वह सर्वे यूपी रह गई!

आज कोई जन प्रतिनिधि उस सर्वे रिपोर्ट को आधार बनाकर पुनः सर्वे करवाएगा ऐसा लग नहीं रहा! जब राजस्व विभाग ने बाबूलाल गुप्ता राजस्व मंत्री यूपी सरकार की कसरत पर तीन महीने सर्वे टीम भेजी और सर्वे की गई तब फिर उस आधार पर क्यों नहीं राजस्व विभाग से सर्वे करवाई जा सकती!

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