नई दिल्ली। कुश्ती संघ अध्यक्ष बृजभूषण के खिलाफ दो मामले दर्ज होने के बाद भी जंतर मंतर में पहलवानों का आंदोलन व देशभर में मिल रहे समर्थन से बृजभूषण की मुश्किलें बढ़ सकती हैं!
सरकार ने इस मामले से मानो पल्ला झाड़ते हुए अदालत पर मामला छोड़ दिया है जिससे मामला विपक्ष के लिए चुनाव से पूर्व एक मुद्दा बनता दिख रहा है। विपक्ष लोकसभा चुनावों से पूर्व देश में केंद्र सरकार की लोकप्रियता पर पूर्ण विराम लगाने के लिए किसी भी हद तक जा सकता है!
चुनाव से पूर्व सीमा पर भी ध्यान देना होगा! पहलवान इस आंदोलन को किस मोड़ पर ले जायेंगे! क्या बृजभूषण को कानून सजा देगा! तमाम सवालों के बीच केंद्र सरकार को इसपर तटस्थ होकर न्यायपालिका पर मामला छोड़ देना चाहिए!
लोकतंत्र की जब बात होती है तो कानून के दायरे में रहकर सबके लिए संविधान बराबर है! अपराध के साथ कोई समझौता नहीं किया जा सकता ये लंबी लड़ाई है इसमें कुछ बलिदान भी होते हैं तो मिशन के आगे घुटने नहीं टेके जा सकते! सत्य की जब बात होती है तो सोच दूरगामी ही रखनी होगी यही समय की मांग भी है।
गलत का विरोध अब भारत की मजबूरी नहीं आवश्यकता हो गई है जो गलत करे उसकी सजा उसे मिले तभी न्यायपालिका पर जनता का अटूट विश्वास कायम रह सकेगा! दबाव की सरकार नहीं जनता की सरकार धरातल पर भी नजर आनी चाहिए!
जनता के सपनों का भारत बनाने के लिए ईमानदार जनप्रतिनिधि लोकसभा और विधानसभा में कैसे जाएं ये देश की जनता को चिंतन करना होगा! खुद से जब तक पहल नहीं होगी तब तक गलत की परंपरा को समाप्त नहीं किया जा सकता।
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