नैनीताल। कर्नाटक में कांग्रेस की जीत और भाजपा की हार से देश में नई चर्चा तेज होने लगी है! गैर भाजपा दल इसे एक प्रयोग मान कर चल रहे हैं तो वहीं कांग्रेस इसे भारत जोड़ो यात्रा की सफलता से जोड़कर देखने लगी है! भाजपा नेतृत्व भी चिंतन कर रहा है कि चूक का कारण क्या रहा!
कर्नाटक में ईवीएम मशीन पर आरोप नहीं लगा! जबकि भाजपा ने ईवीएम मशीन पर शक करना चाहिए था लेकिन पीएम नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस को जीत की बधाई दी है! पीएम की बधाई के क्या मायने निकाले जाने चाहिए!
विपक्ष ने पीएम नरेंद्र मोदी की बधाई को स्वीकार किया या नहीं किया! धन्यवाद तो अब तक किसी ने पीएम को बोला नहीं! कांग्रेस कर्नाटक की जीत से खुश है और वह इसे लोकसभा चुनावों से पूर्व का जनादेश कह रही है! भाजपा को हार तो मिली लेकिन ईवीएम मशीन को इस चुनाव में ईमानदार होने का तकमा मिला है!
अब लोकसभा चुनाव में भाजपा की फिर से जीत होती है तो फिर ईवीएम मशीन की खैर नहीं! तब विपक्ष कहेगा मशीन में ही कमल का फूल फिट हो गया है! देश में लोकसभा चुनाव की तैयारी भी अब तेज होने लगी है! जो सांसद जनता से मिलना जरूरी नहीं समझते थे वह फरियाद सुनने लगे हैं!
देश के जिन संसदीय क्षेत्र में एमपी ने ठीक से काम नहीं किया है केवल सोशल मीडिया तक सीमित रहे हैं सांसद उन जगहों पर भाजपा को नुकसान होगा! ऐसा इसलिए होगा कि सांसद मोदी जी के नाम पर जीतने का सपना पालकर काम कर रहे हैं जिससे अति विश्वास पनप रहा है! खुद कुछ नहीं करने वाले, जनता को टहलाने वाले सांसद भी भाजपा को नुकसान पहुंचा सकते हैं! जन संवाद जिन जगहों पर सांसदों द्वारा नहीं होता वहां विपक्ष को लाभ हो सकता है!
कर्नाटक चुनाव से लोकसभा चुनाव को जोड़कर देखना उचित नहीं है! आम चुनाव और राज्य के चुनाव में फर्क है! लोकसभा चुनाव में भाजपा बनाम समूचा विपक्ष होगा! भाजपा क्या रणनीति अपनाएगी ये तो अभी भविष्य के गर्भ में है लेकिन इतना तय है कि लोकसभा चुनाव में ईवीएम मशीन को बदनाम होने से बचा पाना मुश्किल होगा!
कर्नाटक का ढोल लोकसभा तक बजेगा या एक तरफ की खाल ढोल की फट जायेगी! ढोल को बजाने वालों ने सही से नहीं बजाया तो ढोल की पोल खुल जाना जैसा होगा! विपक्षी दलों ने एकजुट होकर स्वार्थ का त्याग किया तो हो सकता है ढोल की अवाज कुछ दूर तक जरूर जा सकती है! लोकसभा चुनावों से पूर्व कर्नाटक में ईवीएम मशीन को ईमानदार होने का प्रमाण पत्र जारी हो गया है!
अब लोकसभा में बदनाम न हो ऐसा असंभव सा लगता है! देश की अधिकांश आबादी किस तरफ बढ़ रही है, वह केंद्र में किस तरह की सरकार चाहती है ये तो लोकसभा चुनाव में ही ज्ञात होगा जब समूचा विपक्ष ईवीएम मशीन को बदनाम कर रहा होगा! चलो कर्नाटक में ईवीएम मशीन ने भी अपनी रिहर्सल परेड की है और प्रशंसा पाई है।
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