लालकुआं। भाकपा माले की एक बैठक यहां दीपक बोस भवन, कार रोड, बिंदुखत्ता में सम्पन्न हुई। बैठक मुख्य रूप से अतिक्रमण के नाम पर राज्य में गरीबों की हजारों की आबादी को बेघर करने के अभियान को लेकर बुलाई गई थी।
बैठक में बड़ा आंदोलन करने पर चिंतन किया गया और ग्रुप कमेटियों को सक्रिय कर आरपार के संघर्ष की रणनीति पर विचार विमर्श किया गया।
बैठक में बिंदुखत्ता को राजस्व गांव का दर्जा देने की प्रक्रिया तत्काल शुरू करने और सभी वन भूमि में बसे खत्तों, गुर्जरों, गोठ खत्तों का नियमितीकरण किए जाने की मांग उठाई गई।भाकपा माले के नैनीताल जिला सचिव डा कैलाश पाण्डेय ने कमेटी को संबोधित करते हुए कहा कि, “बिंदुखत्ता ने अपना अस्तित्व संघर्ष के बल पर कायम किया है, और संघर्ष के जरिए ही सुविधाएं हासिल की हैं और इस बात को सरकार भी जानती है।
उन्होंने कहा इसीलिए बिंदुखत्ता के नाम की सूची बाहर आते ही सरकार को रक्षात्मक मुद्रा में आकर सफाई देना पड़ा है। बिंदुखत्ता समेत सभी वन भूमि पर बसे लोगों को स्थाई किया जाना चाहिए।
वरिष्ठ नेता कामरेड बहादुर सिंह जंगी ने कहा कि उत्तराखण्ड में खत्तों, वन ग्रामों से लोगों को बेदखल करने की कोशिश उत्तराखंड की सरकार कर रही है जो उत्तराखंड की गरीब जनता के सपनों से खिलवाड़ है। उन्होंने कहा जो जनता संघर्ष करके राज्य लेना जानती है वह अपने अधिकार पाने के लिए भी सड़कों पर उतरेगी और जरूरत पड़ी तो संसद तक जनता मार्च करेगी।
किसान महासभा के जिला अध्यक्ष भुवन जोशी ने कहा कि, “बिंदुखत्ता की धरती संघर्ष की धरती है। मुख्य वन संरक्षक के द्वारा खत्तों पर फिलहाल रोक लगाने की बात कही गई है लेकिन इस पर स्थाई रोक लगाकर बिंदुखत्ता को राजस्व गांव बनाया जाये। उन्होंने कहा बिंदुखत्ता की जनता को कांग्रेस और भाजपा ने गुमराह किया है जिसके चलते लोगों को उनके अधिकार नहीं मिल रहे हैं।
जिला कमेटी बैठक में डा कैलाश पाण्डेय, बहादुर सिंह जंगी, भुवन जोशी, आनन्द सिंह सिजवाली, विमला रौथाण, नैन सिंह कोरंगा, चन्दन राम, कमल जोशी, धीरज कुमार, निर्मला शाही आदि मौजूद रहे।
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