संपादकीय
निकाय चुनाव से होगा भविष्य का आगाज!
उत्तराखंड में निकाय चुनावों की तैयारी प्रारंभ हो गई है भाजपा ने जहां बूथ लेवल पर अपना संगठन मजबूत करने को अभियान चला रखा है तो वहीं कांग्रेस ने भी तैयारी शुरू करते हुए साठ दिन की पद यात्रा निकालने का निर्णय लिया है।
भाजपा ने बूथ स्तर तक अपना संगठन मजबूत करने के लिए अभियान तेज कर दिया है। हर बूथ स्तर पर बैठक चल रही हैं। कांग्रेस ने भी अपने संगठन को मजबूत करने के लिए मजबूत पहल शुरु कर दी है। इसी के साथ लोकसभा चुनावों की भी गुपचुप तरीके से तैयारी होने लगी है।
निकाय चुनाव को लोकसभा चुनावों की रिहर्सल परेड मान सकते हैं। निकाय चुनावों में भाजपा प्रत्याशी क्या गुल खिलाते हैं और जनता क्या जनादेश देती है ये भी अहम है। भाजपा हर सीट पर जीत दर्ज करने के लिए मजबूत पहल कर रही है और जीतने वाले लोगों पर नजर रख रही है।
कांग्रेस का संगठन कितना असर डालेगा और जनता में कितनी पकड़ बना पाता है ये भी निकाय चुनावों से साफ हो जाएगा। भाजपा नेता लोकसभा चुनाव के लिए संगठन के आदेश पर कितना गंभीर होकर काम करते हैं ये भी महत्व पूर्ण होगा। निकाय चुनावों में भाजपा प्रत्याशी और कांग्रेस प्रत्याशी कितना लोगों को समझा सकेंगे ये महत्व पूर्ण होगा।
निकाय चुनाव से पूर्व पाला बदलने का खेल भी हो सकता है। कुर्सी प्रेम किसे कहां तक ले जाता है और किसे कहां से टिकट मिलेगा यह भी भविष्य के गर्भ में छिपा है। कई जगह सरकार और संगठन में तालमेल नहीं होने से सत्ता पक्ष को नुकसान हो सकता है। उन जगहों पर ध्यान देना होगा जहां सांसद और विधायक संगठन को दर किनार कर अपना समानांतर संगठन खड़ा किए हुए हैं।
कई विधायक और सांसद संगठन से दूरी बनाकर चलते दिख रहे हैं जो कहीं से भी उचित नहीं लगता। कांग्रेस में गुटबाजी खत्म होगी या नहीं ये भी इस चुनाव में नजर आयेगा। निकाय चुनावों को लेकर राजनीतिक हलचल तेज होने लगी है। आरक्षित सीट कहां सामान्य होती है और कहां आरक्षित होगी यह भी भविष्य तय करेगा।
निकाय चुनाव के तुरंत बाद लोकसभा चुनाव हो सकते हैं। चुनाव आयोग क्या निर्णय लेता है और कब चुनाव की तिथि तय करता है ये भी कुछ तय नहीं लगता। भाजपा नेता मंथन कर रहे हैं कि विपक्ष को मौका दिया जाए या समय से पहले चुनाव करवा दिए जाएं।
भाजपा किसी भी हाल में फिर से उत्तराखंड की पांचों सीट जीतने के लिए मजबूत पहल कर रही है। कई जगह प्रत्याशी भी बदलने पर विचार हो रहा है। नैनीताल पिथौरागढ़ में किसे टिकट दिया जाय इसे लेकर मंथन और सर्वे तेज हो गई है। जीतने वाले को ही टिकट दिया जाएगा ये तय है। जनता के बीच जिसने काम नहीं किया या जनता से दूरी बनाने वाले सांसदों का टिकट कटना भी तय सा लगता है।
उत्तराखंड में इंडिया टीम से किस दल को टिकट दिया जाएगा ये भी अभी तय नहीं लग रहा है। कुल मिलाकर निकाय चुनाव लोकसभा चुनाव के टिकट तय करेंगे। जिस सांसद के क्षेत्र में भाजपा का प्रदर्शन सही नहीं रहेगा उस सांसद का टिकट साफ हो सकता है।
भाजपा ने बूथ स्तर तक अपना संगठन मजबूत करने को अभियान चला रखा है वहीं विपक्षी दलों का संगठन कमजोर नजर आता है। निकाय चुनाव से साफ हो जाएगा कि किस दल को जनता गले लगाती है। चुनाव में मुद्दे क्या होंगे ये भी अभी तय नहीं है।
( जीवन जोशी संपादक)
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