लालकुआं/नैनीताल। उतराखंड वन विकास निगम के लालकुआं स्थित डिपो नंबर 5 में हुए लाखों रुपए के घोटाले में कुछ छोटे कर्मचारी तो नप गए लेकिन खेल में क्या बड़े अधिकारी जैसे डिपो ऑफिसर, डीएसएम स्तर के लोग शामिल नहीं होंगे इससे इंकार कैसे किया जा सकता है ?
इस तरह पहली बार ही हुआ ये कैसे मान लिया जाए ? वन विकास निगम में करोड़ों रुपए का कारोबार डिपो ऑफिसर डीएसएम स्तर के अधिकारी की देखरेख में होता है तब जांच बड़े स्तर पर की जानी चाहिए!
इस तरह का खेल न जाने कहां कहां हो रहा है और न जाने कितने करोड़ का चूना सरकार को अब तक लगाया जा चुका है! वन विकास निगम के पास तीन तरह के काम हैं पहला गौला नदी चुगान, दूसरा जंगल का कटान, तीसरा सेल्स डिविजन!
हर जगह घोटाले के प्रबल अवसर नजर आते हैं! अभी हाल में कई वन विभाग और वन निगम के अधिकारी नपे भी हैं! लालकुआं में हुए घोटाले को हल्के में नहीं लिया जाना चाहिए! वन विकास निगम सरकार को कमाकर देने वाली प्रमुख संस्था है इसमें बड़े स्तर पर घोटाले होने की आशंका बलवती होती प्रतीत हो रही है।
निगम डिपो में कीमती माल सड़ रहा है लेकिन बेचा नहीं जा रहा कारण अप्रूवल नही मिली! फिर इसी कीमती माल को एक दो ठेकेदारों की जमानत जब्त दिखाकर कोड़ियों के भाव उन्ही ठेकेदारों को नीलामी में दे दिया जाता हैं जिन्हें ऊंचे दामों में ऑक्सन में नहीं मिला!
सोचने का विषय है महंगे दाम जब मिल रहे थे तब नहीं बेचा गया माल! इसी तरह जंगल का हाल है कितने पेड़ छापे गए और कितने काट दिए किसने गिने ? जॉच होती नहीं ! कभी कभार हो गई तो ले देकर मामला रफा दफा हो गया!
वन विकास निगम के कार्यों की धरातलीय जांच हो और सभी डिपो ऑन लाइन किए जाएं जिससे सीसी कैमरे बता सकेंगे हर दिन का हाल! लालकुआं डिपो में हुई गड़बड़ी पूरे राज्य में नहीं हो रही होगी कैसे विश्वास किया जा सकता है ?
सरकार वन विभाग और वन निगम की गलतियों को पकड़ने के लिए तीसरी आंख का प्रयोग करे जिससे सरकार की नुकसान पहुंचा रहे लोगों को पकड़ा जा सके। बड़ी मछली पकड़ने के लिए जांच होना जरूरी लगता है।
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