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श्री कृष्ण जन्माष्टमी मनाने के पीछे क्या वजह होगी ? आइए आज पढ़ें संपादक की अपनी बात…

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भगवान श्री कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व आज से प्रारंभ हो गया है! हर जगह भगवान का जन्मोत्सव धूमधाम से मनाए जाने की तैयारी चल रही है। जिसने इस सृष्टि की रचना की है उसका जन्म जेल में होता है जो सोचनीय विषय है।

कितनी गजब की लीला भगवान ने रची है इससे संसार को ज्ञान मिले और सत्य और असत्य की तुलना मनुष्य कर सके यही लीला का सार है।

भगवान ने तब तब लीला रची है जब जब पाप और अन्याय बढ़ा है! चाहे द्वापर की बात हो या फिर त्रेता युग की बात हो! संसार को लीला के माध्यम से ज्ञान देने के लिए भगवान ने लीला रची है!

आज श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर्व है हर मंदिर में कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे और भगवान की लीला का मंचन किया जाएगा। इसके पीछे का सच ये है कि मनुष्य सच और झूठ में फर्क क्या है यह समझ सके।

भगवान ने गीता में उपदेश भी इसी तरह के दिए हैं कि धरती पर पैदा होने वाले इंसान को सही और गलत का बोध हो सके। भगवान के बताए मार्ग का जिसने अनुसरण किया उसके लिए धरती ही स्वर्ग बन जाती है।

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भगवान ने गलत और सही की समझ पैदा होने वाले वर्णन प्रस्तुत किए हैं जिनसे मनुष्य को ज्ञान मिले और वह सत्य के मार्ग पर चले। आज श्री कृष्ण जन्माष्टमी महोत्सव शुरू हो गया है और जगह जगह मेले आयोजित किए जा रहे हैं।

मनुष्य को ज्ञान मिले और वह सत्य पथ पर आगे बढ़ सके यही विभिन्न लीलाओं का सार है जिसने इसे समझ लिया उसका जीवन सफल हो जाता है और वह मृत्युलोक में भी स्वर्ग की अनुभूति प्राप्त कर लेता है।

श्री कृष्ण जन्माष्टमी मनाने के पीछे जो सोच है उसका सार है कि मनुष्य भगवान के बताए मार्ग पर चले और सत्य के मार्ग पर चलने की प्रेरणा प्राप्त कर सके।

भगवान श्री कृष्ण ने कहा है जो मेरा हो जायेगा मैं उसका हो जाऊंगा! लेकिन मनुष्य इस विषय को गंभीरता से सिर्फ अवसरो पर सोचता है फिर अपने मन की करने लगता है जो पीड़ा का सबसे बड़ा कारण बन जाता है।

भगवान दिखावे से बेहद प्यार नहीं करते वह आस्था और विश्वास पर नजर रखते हैं। जिसने भगवान के बताए अनुसार कर्म किया वह मृत्यु और जन्म के फेर से हमेशा छुटकारा पा जाता है। जिसने आडंबर का प्रदर्शन किया और दिखावे की भक्ति की उसे बार बार मृत्युलोक आना होता है।

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मनुष्य को भगवान के बताए अनुसार कर्म करने की अनुमति है लेकिन आज कुछ पल तो भगवान की आराधना इंसान देखा देखी करता है फिर अपने अनुसार चलने लगता है जो गलत मार्ग की तरफ अग्रसर हो जाता है और पीड़ा का कारण बन जाता है।

आज जरूरत है भगवान की लीला से ज्ञान अर्जित करने की ओर सत्य मार्ग पर चलने की! जब जब असत्य का प्रभाव बड़ा है तब तब भगवान ने अपना सुदर्शन चक्र चलाया है। मनुष्य को गीता सार के अनुसार चलकर सफलता मिलती है लेकिन आज समय इतना किसके पास है कि वह भगवान के बताए मार्ग पर चले!

हर किसी को गलत मार्ग से धन कमाने का रोग लग गया है इसके चलते अनेकों रोग इस धरती पर जन्म ले रहे हैं इसका कारण है मनुष्य के कर्म! क्योंकि भगवान ने कर्म प्रधान कहा है! अब कर्म कैसे हों इसका ज्ञान उसे ही मिलेगा जो लीला की प्रासंगिकता को समझेगा।

आज भगवान का जन्मदिन है इस अवसर पर मनुष्य को भगवान द्वारा रची गई लीला से ज्ञान अर्जित करना चाहिए।

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