लालकुआं। बिंदुखत्ता राजस्व गांव कब बनेगा ये सवाल आजकल लोग एक दूसरे से पूछ रहे हैं। भूमिहीन किसानों मजदूरों की अगुवाई करने वाले लोगों में आजकल राजस्व गांव चर्चा का विषय बना हुआ है।
वनाधिकार कानून व्यवस्था लागू करने के लिए बनी समिति भी आजकल मीटिंग नहीं कर रही जिससे लोगों में चर्चा हो रही है कि चुनाव आने वाले हैं आचार संहिता लागू होने में कुछ महीने बचे हैं लेकिन कुछ भी समाधान अब तक नहीं हो सका है।
राजनीतिक दल हर चुनाव में बिंदुखत्ता को राजस्व गांव बनाए जाने का वादा तो करते रहे हैं लेकिन आजतक कोई हल नहीं निकल सका है।
उत्तराखंड मूल के भूमिहीन परिवार इस क्षेत्र में रहते हैं, आपदा पीड़ित परिवार, पूर्व सैनिक, शिल्पकार, सेवारत सैनिक यहां निवास करते हैं अशोक चक्र प्राप्त शहीद के परिवार इस क्षेत्र में रहते हैं लेकिन आजतक इनको राजस्व गांव नहीं मिल सका।
सरकार की कई योजना का लाभ यहां मिलता है लेकिन केंद्र और राज्य की अनेकों योजना से ये एक लाख की आबादी वंचित है जिससे युवा पीढ़ी का जीवन अधर में लटका है।
पूर्व सीएम हरीश रावत ने इसे नगर पालिका बनाया था जिसे विपक्षी दलों ने ये कहकर खारिज करवा दिया था कि वह इसे राजस्व गांव बनाएंगे लेकिन आजतक बिंदुखत्ता की ज्वलंत समस्या जस की तस है।
लोगों को उम्मीद है प्रदेश सरकार जनता की समस्या का समाधान करेगी।
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