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भीमताल की झील अपने अस्तित्व के लिए जूझ रही! पढ़ें समाजिक कार्यकर्ता ब्रजवासी क्या कहते हैं…

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भीमताल निराशाजनक झील बन रही है जून माह में

भीमताल। जल स्तर काफी कम होने से पर्यटन सिर्फ झील के मल्लीताल छोर पर दिख रहा है अब बड़ा ‘मैदान’ और पानी सूखने से चारों ओर दिख रही ‘कूड़ा-प्लास्टिक-गंदगी’* *भीमताल झील की वर्ष 1998 में हुई थी सफाई, झील को सफाई के लिए 25 साल से है इंतजार* *”झील का पानी मलुवा-गंदगी, सीवर से हो रहा है दिनों-दिन प्रदूषित” तत्काल हो रोकथाम**

‘झील प्रेमी एवं समाज सेवी बृजवासी’ ने की शासन-प्रशासन से शीघ्र संपूर्ण ‘ भीमताल जीवन दायनी’ झील की साफ-सफाई गाद-मिट्टी मलुवा निकासी,नालों से समाने वाले गाद-मिट्टी की निकासी एवं रोकथाम की माँग*

भीमताल झील की सफाई का मामला लगभग 3 दशक से अधर पर लटका हुआ है , नगर वासी एवं पर्यटन व्यवसायी झील की सफाई न होने व उसमें दिखने वाले डेल्टा, मैदान एवं झील का जल स्तर कम होने से काफी चिंतित हैं।

बारिस कम होने के कारण इस वर्ष जनवरी माह से ही यहाँ मल्लीताल छोर पर धीरे-धीरे डेल्टा मैदान में झील परिवर्तित होते दिखाई देने लग गयी थी, जो अब जून माह में बड़े मैदान में परिवर्तित हो गई है।

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दिनों-दिन झील का पानी प्रदूषित होता जा रहा है, झील के अधिकांश जल स्रोत सूख चुके हैं या सूखने की कगार पर हैं और गाद-मिट्टी भरने से झील की गहराई दिनो दिन कम होते जा रही है जिसको लेकर नगर के चिंतित सामाजिक कार्यकर्ता झील प्रेमी पूरन चंद्र बृजवासी अब तक कई बार नैनीताल जिला प्रशासन को भीमताल झील की इस मुख्य समस्या से अवगत करा चुके हैं ।

साथ ही झील के लिए विशेष योजना एवं बजट स्वीकृति की मांग कर चुके हैं, इसके साथ ही उन्होंने अब तक विभाग, जिला प्रशासन राज्य सरकार को अपने पत्रों में बताया हैं कि झील में हर साल गाद-मिट्टी भरने से झील सकरी हो रही है और झील के पानी की स्टोरेज क्षमता कम हो रही है, झील के जल स्रोत सूख रहे हैं, झील का मल्लीताल छोर सिल्ट व गाद से भरा पड़ा है।

उन्होंने कहा विभागीय सर्वे के आकड़े बताते हैं कि 1985 में झील की गहराई 22 मीटर थी जबकि वर्तमान में घटकर 17 मीटर से भी कम हो रही हैं, साथ ही एक रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2006 में भीमताल झील का पानी भी पीने योग्य नहीं बताया है, भीमताल झील की सफाई एवं गाद-मिट्टी निकासी के लिए उनके द्वारा पूर्व में कई बार मुख्य विकास अधिकारी, जिलाधिकारी, कुमाऊँ आयुक्त, मुख्य सचिव, विभागीय शासन सचिव, विधायक, सांसद, पर्यटन मंत्री, मुख्यमंत्री एवं प्रधानमंत्री तक ज्ञापन भेजे जा चुके हैं।

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लेकिन झील आज भी गाद-मिट्टी निकासी और सफाई के इंतजार में है, उन्होंने कहा झील में गिरने वाले नाले ‘ड्रेन ए व ड्रेन बी’ खुटानी से लेकर झील मुहाने तक गाद-मिट्टी, सीवर, गंदगी से भरें पड़े है इस ग्रीष्मकालीन सीजन में इन नालों की अगर जड़ से सफाई नहीं हुई तो ये सब तमाम गंदगी से दुर्गंध उठेगी और इसका झील में समाने का खतरा और बना हुआ है।

समाज सेवी बृजवासी ने पुनः जिला प्रशासन एवं शासन-प्रशासन से झील की जड़ से गाद-मिट्टी, मैटेरियल और गंदगी की निकासी एवं सफाई, झील के जल स्रोतों को पुनर्जीवित करने की योजना व उसमें आने वाले नालों की सफाई एवं इसकी रोकथाम के लिए बजट पास करने कि मांग की है ताकि झील को इस प्रकोप से बचाया जा सके और संपूर्ण झील का सौंदर्यीकरण हो ।

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