भारत माता कहते हैं! नारे लगाए जाते हैं लेकिन कुछ चेहरे ऐसे होते हैं जो काम एक पैसे का नहीं करते भारत माता की जय का नारा लगा रही भीड़ में जल्द से जाकर दूसरे के हाथ से झंडा लेकर खुद ही वन मैन आर्मी बन जाते हैं जिसके चलते ठगी लोगों को नहीं समझ आती! झंडा देने वाला भी सोचता है चलो यह ठीक आया हाथ थक गया था! झंडा देने वाले ने कभी ये नहीं सोचा की झंडा जो हाथ से ले गया वह चतुर एक दिन मुझे ही हांशिये में डालकर खुद झंडाबरदार बनकर उसे ही घर बिठा देगा!
इस देश केi जनता बेवकूफ नहीं विद्वान है! जिसने आजादी के लिए जान गंवाई उनके देश में किसी को मूर्ख समझना भारी भूल है! इस देश ने तानाशाही रवैया का हमेशा से विरोध किया! लेकिन सत्ता के नशे में चूर नेता स्वयं भगवान बन जाएं तो भगवान का क्या वजूद रह जायेगा!
भारत माता कहते हैं और जोर जोर से नारा लगाते हैं जैसे कि यही एक मात्र पेट से पैदा संतान हों! भारत में जनता को जब रोजगार नहीं मिलेगा! तो पढ़ लिखकर पकोड़े बेचो कहना क्या तानाशाही जैसा नहीं लगा होगा! जबकि कहना यह चाहिए था हम बदलते भारत में नई नीति लाकर हर घर से एक की रोजगार देंगे! शब्द बहुत महत्वपूर्ण होते हैं।
पुराने लोगों के थके हाथ से जैसे वाल जी ने झंडा लपक लिया और उन्हें बहरा है कहकर झंडा लेकर दौड़ लगा दी आज दो राज्य में हैं!
इस चुनाव में भाजपा को भीतरघात k शिकार भी होना पड़ा है! नाराज नेता वोट मांगने दिल से नहीं निकले! वन मैन आर्मी का जितना जादू चला उसी के बल पर भाजपा वोट पा सकी! संगठन आरएसएस ने भी किनारा जैसा किया था कारण झंडा बरदार ने अपने सामने किसी की चलने नहीं दी! ठीक है हम सही हैं लेकिन जिसने इतने साल मेहनत की पार्टी को जिंदा रखने में सब कुछ बरबाद किया उसे किनारे जब किया जाएगा तो पार्टी में असंतोष पनपना जायज है।
अयोध्या में मंदिर बनाने के बाद भी भाजपा कैसे हार गई! यह भीतरघात नहीं तो और क्या कहा जाएगा ? भजपाएं एक गुट भीतर ही भीतर नरेंद्र मोदी और अमित शाह के खिलाफ खड़े होने लगा है जिसका परिणाम सामने है! पार्टी जिंदा तब रहेगी जब सबका सम्मान होगा! अबकी बार चार सौ पार जिसने भी ये नारा बनाकर भाजपा को दिया उसी ने सबसे बड़ा भीतरघात करते हुए आत्मघाती नारा बना दिया कि तीन सौ पार नहीं कर से!
भगवान का भक्त कभी अहंकारी नहीं हो सकता! भारत माता ने सबको किनारे कर चंद्र बाबू नायडू और नीतिश कुमार को धागा सरकाने वाला बना दिया! देखिए कितना बड़ा चमत्कार है!
दो लोगों को ऐसा वरदान दे दिया कि सबकी हवा निकल गई! अब पछताने से क्या लाभ! पहले कर क्यों किए फिर कर क्यों पछताए! भारत माता एक अद्भुत शक्ति स्वयं में है! जिस गद्दीरपार चुनकर गया प्रतिनिधि बैठता है हर उस गद्दी में भारत माता का वास होता है!
जिसने भी गद्दी में बैठकर गड़बड़ ju jara sa bhi चूक हुई उसकी सजा बराबर देती है माता! चालाकी जनता चाहे न समझे लेकिन माता तो देखती है! न्यायकारी है भारत माता! कांग्रेस ने गलती की उसे सजा आज तक मिल रही है!
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