लालकुऑ में चल रहे श्रीमदभागवत कथा मे श्रीकृष्ण के जन्म की कथा सुनकर आनन्द विभोर हुए श्रद्वालु भक्तों की अपार भीड़ ने बिखेरी अध्यात्म की अनोखी छटा पूर्व चैयरमैन राम बाबू मिश्रा के आवास पर श्रीमद्भागवत कथा की धूम श्रीमद् भागवत कथा के चौथे दिन योगेश्वर भगवान श्रीकृष्ण के जन्म की अद्भूत कथा को सुनकर श्रद्वालु जन आनन्द विभोर हो उठे।प्रसिद्ध कथा वाचक व्यास स्वामी श्री नारायण चैतन्य महाराज ने भगवान श्रीकृष्ण के जन्म की सुन्दर कथा का वाचन करते हुए कहा जो प्राणी अपने आराधना के श्रद्वापुष्प प्रभु श्रीकृष्ण के चरणों में अर्पित करता है,अर्थात् जो श्रीकृष्ण की शरणागत है वह सदा अभयत्व पूर्ण जीवन जीकर मुक्ति का अधिकारी बनता है।तथा उसके रोग,शोक,दुःख,द्ररिदता एंव विपदाओं का हरण हो जाता है।
श्री महाराज ने कहा कि भागवत तो साक्षात भगवान का स्वरुप है। इसके ज्ञान मात्र से ही मानव धन्य हो जाता है। वास्तविक व्यक्ति तो वही है जो इसके गुणों को अपनाता है। श्रीमद्भागवत मे भगवान ने कहा कि जब मनुष्य में अहम हो जाएं वहां मेरा दर्शन नहीं हो सकता। ईश्वरीय प्रेम के बिना मानवीय जीवन का कल्याण नहीं हो सकता। उन्होनें कहा धन का लालच मनुष्य को अंधा बना देता है इससे सबसे उपर उठकर श्रीकृष्ण की कृपा पात्र बनों।उन्होनें कहा श्रीमदभागवद कथा मनुष्य को सन्मार्गी बनने की प्रेरणा देती है यह आत्मा से परमात्मा का मिलन कराते हुए ईश्वरीय शक्ति का साक्षात्कार कराती है,श्रीं कृष्ण जन्म की कथा के साथ चतुर्थ दिवस की मंगलमयी कथा में, वामन अवतार की कथागजेंद्र मोक्ष की कथा ,समुद्र मंथन की कथा ,भक्त अंबरीष का चरित्र,राम जन्म, मत्स्य अवतार , सत्य व्रत राजा व सगर की कथा, गंगा माता की कथा, एवं नंदोत्सव, की कथाओं के साथ-साथ प्रभु के पावन चरित्र का सुंदर वर्णन किया ।
इस अवसर पर श्री महाराज ने रामकथा के विभिन्न प्रसंगों पर सुधामयवाणी से चर्चा की श्रद्धालु जन रामकथा को सुनकर गदगद हो उठे तुलसीदास की रामभक्ति की प्रगाढता पर विस्तृत चर्चा करते हुए स्वामी श्री नारायण चैतन्य महाराज जी द्वारा राम जन्म जानकी विवाह सहित राक्षसों के वध एवं राम नाम की महिमा पर प्रकाश डाला गया रामायण के अनेकों प्रसंगों का उन्होंने सुंदर वर्णन किया उन्होनें कहा राम का जीवन हमारे जीवन को आदर्श बनाने की प्रेरणा देता है।
उन्होंने हनुमान जी की राम भक्ति पर भी विस्तृत चर्चा की उन्होंने कहा कथा कलयुग में कामधेनु के समान है। कलिकाल में राम नाम स्मरण एवं भागवत कथा के श्रवण मात्र से ही मानव कष्टों से छुटकारा पाकर जीवन को धन्य कर सकता है। उन्होंने कर्म की शुद्धता पर बल दिया और कहा जितनी कर्म की शुद्धता होगी, भगवान उतनी ही भक्त पर कृपा करेंगे। कर्म करना व्यक्ति के वश में है इसलिए व्यक्ति को कर्म करते रहना चाहिए और सब कर्मों को श्रीराम के अधीन छोड़ देना चाहिए।
स्वामी जी ने कहा श्रीमद्भागवत अत्यंत पावन पुराण है। यह भगवत्स्वरूप का अनुभव कराने वाला और समस्त वेदों का सार है। संसार में फंसे हुए लोगों को भवसागर पार करानें वाला है। श्रीमदभागवत कथा हम सब को जीवन जीने की कला सीखाती है,आज की कथा के पावन अवसर पर वरिष्ठ महामण्डलेश्वर श्री सोमेश्वर यति महाराज, यजमान राम बाबू मिश्रा, उर्मिला मिश्रा, पूर्व कैबीनेट मन्त्री हरीश चन्द्र दुर्गापाल, हरेन्द्र बोरा , राजेन्द्र खनवाल, गोपाल सिंह नेगी, जीवन कबड्वाल, दिनेश अग्रवाल, संजीव शर्मा, दीप चन्द्र लोहनी, स्वामी नाथ, उमेश तिवारी,देवी दत्त पाण्डे, महेश चौधरी, कुलदीप मिश्रा, अखिलेश मिश्रा, रवि शंकर तिवारी, रमेश उपाध्याय , विवेक मिश्रा, राम वीर सिंह, प्रमोद गोयल, भोला राम , हेमन्त पाण्डेय, योगेश उपाध्याय, गोपी गर्ग, संजय सिंह, सुभाष नागर, गौरी शंकर तिवारी,जे पी गुप्ता बीना जोशी, मुन्नी पाण्डे , गीता भट्ट , रश्मि कबड्वाल, जानकी देवी , गौरा देवी, मीना रावत , दीपाली मिश्रा, सहित अनेकों मौजूद रहे।
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