उप चुनाव में मिली हार खेला तो नहीं!
उतराखंड के अंदर दो उप चुनाव में भाजपा को करारी हार का मुंह देखना पड़ा है जो भाजपा के लिए चिंता का विषय है।
बद्रीनाथ और मंगलौर सीट पर हुए उपचुनाव में भाजपा को सरकार होने का भी लाभ नहीं मिलेगा ये किसी ने सोचा तक नहीं था!
दोनों जगह से हार जाना कुछ न कुछ कारण की तरफ इशारा है! कहीं ऐसा तो नहीं कि सीएम पुष्कर धामी को कमजोर सीएम शो करवाना हो! भीतरघात की संभावना की तरफ इशारा तो नहीं है!
उत्तराखंड में खतरनाक राजनीतिक दांव भी खेले जाते रहे हैं!
पीएम की कुर्सी सम्हालने का जब अवसर पण्डित नारायण दत्त तिवारी को मिलने वाला था तब उनको नैनीताल सीट से भीतरघात ने हरवा दिया था! सीएम भुवन चंद्र खंडूरी ईमानदार पहल कर रहे थे तो उनको हरवा दिया गया!
कई उदाहरण हैं जिससे कह सकते हैं कि इन दो उपचुनाव में भी कहीं राजनीतिक खेला तो नहीं हो गया!
उत्तराखंड में टांग खींचने वाली राजनीति का उदय राज्य बनते ही हो गया था!
पंडित नारायण दत्त तिवारी सीएम थे तो हरीश रावत के लेटर बम चला करते थे! आज भी लेटर बम की परंपरा अनवरत रूप से चल रही है!
अब केदारनाथ सीट पर उप चुनाव होना है इसमें किस दल को जीत मिलती है ये देखना होगा!
मंगलौर सीट और बद्रीनाथ में भाजपा हारी या हरवाया गया ये जांच का विषय है भाजपा संगठन के लिए!
भाजपा कार्यकर्ताओं ने एकजुट होकर ये चुनाव लडा था या भीतरघात हुआ ये भी संगठन की चिंता का विषय है!
सीएम पुष्कर धामी सरकार को कमजोर करने वाली ताकत तो कहीं इसमें खेला नहीं कर गई!
कुल मिलाकर भाजपा और सरकार के लिए ये गंभीर चिंतन का विषय है।
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