
*नीचे दी गई कविता के माध्यम से, कवि यह कहना चाहते हैं कि* पहाड़ की युवतियों का तराई क्षेत्र (भाभर) में शादी करने के लिए पलायन दुखद है और यह पहाड़ी संस्कृति, प्राकृतिक सौंदर्य और सामाजिक मूल्यों की उपेक्षा है। वह युवाओं से अपनी जड़ों को न छोड़ने और पहाड़ में ही अपना जीवन बसाने का आग्रह करते हैं, ताकि पहाड़ खाली न हों और उनकी पहचान बनी रहे। *इस कविता से हमें यह सीख मिल रही है* -: यह कविता हमें अपनी संस्कृति और जड़ों से जुड़े रहने, पलायन के नकारात्मक प्रभावों को समझने, बाहरी आकर्षणों से सावधान रहने, पारिवारिक मूल्यों का सम्मान करने और अपने समुदाय के प्रति जिम्मेदार होने की सीख देती है। यह हमें अपने क्षेत्रों के विकास के लिए सोचने और कार्य करने के लिए भी प्रेरित करती है।
*भाभर में डेरा क्यों ना होगा फेरा*


कवि गोकुलानन्द जोशी पता – करासमाफ़ी काफलीगैर बागेश्वर वर्तमान पता -बिंदुखत्ता लालकुआं नैनीताल




More Stories
*ब्रेकिंग न्यूज*सीएम *पुष्कर धामी* ने निकाली तिरंगा सम्मान यात्रा! पढ़ें पीएम नरेंद्र मोदी पर क्या कह दिया…
*ब्रेकिंग न्यूज* १८ मई को लगेगा शिविर! न्यायमूर्ति कुंवरपुर पहुंच रहे हैं! पढ़ें लालकुआं विधानसभा क्षेत्र अपडेट…
देहरादून:-मंत्रिमंडल की बैठक में कई अहम मुद्दों पर लगी मोहर,