
देहरादून। लंबे समय से यह मांग तेजी से उठ रही है कि हिमालई राज्यों के लिए नीति आयोग अलग बजट की सिफारिश करे जिससे हिमालई राज्यों को आपदा से जूझने की शक्ति मिल सके।
नीति आयोग ने पूरे देश में जाकर सर्वेक्षण किया है और इसी के तहत नीति आयोग की टीम उत्तराखंड भी पहुंची थी! नीति आयोग को यह तथ्य स्वीकार करना चाहिए कि हिमालई राज्यों की स्थिति मैदानी क्षेत्रों से भिन्न है!
आपदा के कारण हिमालई राज्यों को बरसात में त्रासदी का सामना करना पड़ रहा है जिससे उनकी उत्तरोत्तर प्रगति नहीं हो पा रही है। हिमालय को बचाना जहां इन राज्यों की जिम्मेदारी है तो वहीं जीविका प्रदान करना, पलायन रोकने के लिए भी इन राज्यों को बजट की दरकार है!
हिमालई राज्यों की सीमा पर बसे लोगों की आर्थिकी को सुधार की जरूरत है वरना पलायन रोकने कठिन होगा ! पलायन होने से सीमा पर सैनिक रखने पड़ेंगे , जहां आज लोग रहकर सीमा की रक्षा कर हिमालई राज्यों को संबल प्रदान कर रहे हैं । पलायन रोकने और आपदा से जूझने के लिए हिमालई राज्यों को नीति आयोग अलग बजट की सिफारिश करेगा यह उम्मीद हिमालई राज्यों को है।
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर धामी नीति आयोग की बैठक में जोरदार पैरवी करने के लिए तैयारी कर रहे हैं, जिससे देश में उत्तराखंड को अग्रणीय प्रदेश बनाया जा सके! पलायन रोकने के लिए धामी सरकार रोजगार की दिशा में काम करेगी तो निश्चित रूप से पलायन भी रुकेगा और राज्य आर्थिक रूप से मजबूत भी होगा!
केन्द्र सरकार हिमालई राज्यों को अलग से बजट प्रदान कर इनकी ज्वलंत समस्या का हल करेगी! ऐसा नीति आयोग की बैठक में निर्णय लिया जाना न्याय संगत होगा।














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