नैनीताल।
जाने माने पर्यावरणविद सुंदर लाल बहुगुणा की पुण्य तिथि पर उनको नमन है। सुंदर लाल बहुगुणा ने पूरे देश व दुनिया को जो संदेश दिया वह आज भी प्रासंगिक है और कल भी रहेगा। उनके द्वारा जो आंदोलन किए गए वह अपने आप में एक नजीर हैं। चिपको आंदोलन के प्रणेता, नशा नहीं रोजगार दो, कुली बेगार, बड़े बांधों का विरोध उनकी खास बातें आज भी लोगों को जीवन जीने की प्रेरणा देती हैं। उन्होंने जीवन भर लोगों को पर्यावरण संरक्षण एवं प्रकृति को बचाने के लिए जो संदेश दिया वह भारतीय संस्कृति में एक उदाहरण है। आज सुंदर लाल बहुगुणा दुनियां में नहीं रहे लेकिन उनके विचार हमेशा मानव जाति के लिए जीवंत उदाहरण बने रहेंगे। उन्होंने हिमालय को बचाने के लिए जो पहल की थी उसे कभी भुलाया नहीं जा सकेगा। उन्होंने अपने संपूर्ण जीवन को समाज व प्रकृति को न्योछावर कर दिया था उनके जीवन से प्रेरणा लेकर मानव जाति को जल जंगल जमीन के महत्व को समझते हुए आगे बढ़ना होगा। उन्होंने कहा था जिस दिन लोगों का जल जंगल जमीन से रिश्ता कमजोर होगा उस दिन से प्रकृति का रूप बदलने लगेगा जो दिखने भी लगा है। उनकी सोच का उत्तराखंड बनाने के लिए सबको मिलकर आगे बढ़ना होगा। आज मनुष्य का जल जंगल जमीन से रिश्ता कमजोर हुआ है जिसके चलते आपदा में तेजी आई है। उनके द्वारा वनों को बचाने के लिए जिस तरह अनेकों आंदोलन शुरू किए गए लेकिन आज वनों को बचाने की बात रही दूर लोग पहाड़ को तक खोद रहे हैं जो बेहद चिंता का विषय है।
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