देश में जो कुछ चल रहा है उससे दूसरे समुदाय में कुछ लोग सियासत का जहरीला बीज छिड़कने जैसा कोई नया बखेड़ा खड़ा करके 2024 के लोकसभा चुनावों में मोदी सरकार को निपटाने की तैयारी में दिखते हैं! अनुमान है कि 2024 के चुनाव के लिए धर्म निरपेक्ष लोकतंत्रात्मक मोर्चा भी विपक्ष बना सकता है जिसका ताना बाना मार्क्स लेनिन माओत्शेतुंग, आप पार्टी, मुस्लिम बहुल इलाकों के नेता, ओवेशी किस किस का नाम लिया जाए ये लोकतंत्र है इन कितने छेद हैं कहां से पानी की बूंद टपकेगी और कागज की सरकार गल जाए कोई पता नहीं! धार्मिक आधार पर खाई बढ़ रही है जिसमें विपक्ष रंग घोलने की तैयारी करने लगा है। देश में धार्मिक अंधता दोनों धर्मों के बीच प्रतिस्पर्धा आयोग बन रही है। हिंदू के जो मंदिर हैं उनको मिले मुस्लिम का जो है उसे मिले बस झगड़ा खतम! लेकिन हो क्या रहा है कि अधिकतर मुस्लिम वर्ग को राजनीति मंदिर मस्जिद से कुछ भी लेना देना नहीं है लेकिन कुछ हैं कि उन्हें सबकी हंसी भाती नहीं! कालेज के समय एक किताब में एक कविता पढ़ी थी: हिंदू का मुस्लिम का अहसासात को मत छेड़िए, अपनी कुर्सी के लिए जज्बात को मत छेड़िए। हैं कहां हिटलर हलाकु जार या चंगेज खां ? मिट गए सब कोम की ओकात को मत छेड़िए। छेड़िए एक नई जंग मिलजुल कर सभी, बेरोजगारी के खिलाफ दोस्त मेरे मजहबी उन्माद को मत छेड़िए। जो जिसका है कानून के लिहाज से उसे मिले कानून के महारथी इसका हल निकाल सकते हैं! इसका प्रमाण है मंदिर मुद्दे पर जो निर्णय न्यायालय ने दिया इससे पहले किसी भी सरकार में फैसले अदालत ने नहीं दिए। राम मंदिर इस बात का प्रमाण कह सकते हैं। मंदिर मस्जिद से आगे भी कुछ और है! आज समय इससे आगे बढ़कर सोचने समझने का है। खाली हाथ रोजगार मांग रहे हैं तो खेत पानी मांग रहे हैं! मंदिर मस्जिद के लिए एक कमेटी बनी वो अपना मामलों को निपटाती रहे जो जिसका है बटवारा करो छुट्टी! अब रोजगार, बढ़ती महंगाई को लेकर सोचने का है। किसी भी विपक्षी दल ने जनता के बुनियादी मुद्दों पर आज तक बात नहीं की आंदोलन तो दूर की बात रही तब समझा जा सकता है की देश में मुस्लिमों के नाम पर सियासत करने वाले दल मोदी सरकार के पीछे पड़े हैं लेकिन मोदी का जादू अभी बरकरार लगता है! देश की जनता आज भी मोदी के पक्ष में दिखती है जिसके लिए मोदी जी को प्रतिभावान नेता कह सकते हैं। विपक्ष आज आंदोलन करने की हिम्मत नहीं कर रहा है। मुस्लिमों के नाम पर सियासत गरमाने का कुचक्र रहा जा रहा है इसलिए मोदी सरकार को आंखें चार कर चलने की जरूरत है मध्यम वर्ग को भी विश्वास में लेना है तो गरीब को भी जिंदा रखना है पूंजीपति तो सक्षम हैं।
संपादक *जीवन जोशी* की कलम से…
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