कल जुमां की नमाज पढ़ने के बाद देश के विभिन्न हिस्सों में मुस्लिम समुदाय ने हिंसक प्रदर्शन कर तिरंगे में अशोक चक्र की जगह इस्लामिक कलमा लिखा तो कहीं नुपुर के पुतले को लेकर आगजनी कर अपनी नाराजगी व्यक्त की। देश भर से आ रही खबरों पर गौर करें तो इस्लाम धर्म के अपमान को लेकर तीखी प्रतिक्रिया सामने आई है। यूपी में भी जोरदार प्रदर्शन किया गया है। लोकसभा चुनाव से पहले इस विवाद को विपक्ष जोरदार तरीके से उठाने लगा है। केंद्र सरकार इसे किस rupen लेती है और क्या रुख अपनाती है ये देखने वाली बात होगी। नुपुर शर्मा के बयान को लेकर मुस्लिम समुदाय द्वारा संचालित आंदोलन किस मोड़ पर जायेगा ये समझ से परे है। गंगा जमुनी संस्कृति को हिंसा के बल पर तहस नहस करने वालों पर क्या निर्णय सरकार लेगी ये भी भविष्य के गर्भ में छिपा है। धर्म को लेकर विवाद होता है तो फिर ये दो तरफा भी हो सकता है। अति कट्टरता देश हित में नहीं लगती। धर्म की बातों में हिंसा कहां तक उचित है ये सबको सामूहिक रूप से सोचना होगा। नुपुर शर्मा तो एक बहाना लगता है जबकि मकसद देश में चुनाव से पहले माहौल गरमाना है। हिंदू धर्म के मंदिर जो मस्जिद बनाए गए थे उनको अब हिंदू मांगने लगे हैं असली वजह ये भी नजर आती है। सच तो ये है कि धर्म के विषय को छुआ जा जाए और अदालत इसके लिए सक्षम है। नेताओं की बयान बाजी इसमें आग का काम कर रही है। धर्म को लेकर बयान सोच समझ कर दिया जाय तो यही सही होगा। आज हो क्या रहा है मोदी सरकार को हटाने के लिए कुछ राजनीतिक दल मुद्दा तलाश रहे हैं ऐसे में गलत बयान बाजी से परहेज होना चाहिए। देश में रोजगार, शिक्षा, महंगाई जैसे मुद्दे हैं लेकिन कोई इनको लेकर आंदोलन नहीं कर रहा बस एक मुद्दा है धर्म। धर्म को छेड़ने वाले लोगों को ये सोचना होगा इसके अलावा भी कुछ है। जिसे परेशानी है वो न्यायालय का दरवाजा देखे और अपना विरोध दर्ज करे लेकिन खुद कानून को हाथ में लेना कहां तक उचित होगा ये सबको सोचना होगा। धर्म से बड़ा देश है जब हिंसा होगी तो देश को नुकसान होगा तब धर्म कहां बचेगा। आज तिरंगे में अशोक चक्र की जगह इस्लामिक कलमा लिख कर क्या संदेश देना चाहते हैं कुछ लोग। कानून को हाथ में लेने का मतलब देश की कानून व्यवस्था से खिलवाड़ है जिसे स्वीकारा नहीं जा सकता। हिंसा से कुछ हासिल नहीं होता। किसान आंदोलन को ही ले लिया जाए। हिंसा किसी भी समस्या का समाधान नहीं है इससे तो देश को और समाज को क्षति होती है। जब आग विकराल रूप लेती है वह जाति धर्म भाषा को नहीं देखती इसमें सबको हानि होती है। किसी को नाराजगी है तो वह अपनी बात न्यायालय में जोरदार तरीके से उठाने के लिए स्वतंत्र है। कानून अपना काम करेगा। खुद जज साहब बनकर फैसले लेना देश द्रोह कहा जायेगा। देश में संविधान है उसके अनुसार सबको मर्यादा में रहकर चलना चाहिए। हिंसा किसी समस्या को हल नहीं करती। जम्मू कश्मीर इसका गवाह है। आजादी के बाद से जम्मू कश्मीर में हिंसा होती रही लेकिन क्या हुआ कश्मीर अपनी जगह है। इसमें कितने घर उजड़े ये देखो। गोली जाति धर्म भाषा को नहीं पहचानती इसलिए सबको मर्यादा में रहकर मजबूत भारत का सपना साकार करना होगा। कानून को हाथ में लेना कहीं से भी उचित नहीं लगता इससे सरकार को दमन के सिवा कुछ नजर नहीं आता। हिंसा होगी तो नुकसान होगा। कानून के तहत ही सबको अपनी बात रखनी चाहिए। जिससे नाराजगी है उसके खिलाफ न्यायालय में जाओ और उसके खिलाफ मामला दर्ज करो फिर कानून अपना काम करेगा। देश गुंडा गर्दी से नहीं कानून से चलता है। चुनाव आयोग को चाहिए जो भी राजनीतिक दल जाति धर्म भाषा को लेकर आंदोलन या हिंसा करवाता है उसको चुनाव आयोग ब्लैक लिस्ट करे। हिंसा किसी भी समस्या का हल नहीं है। नेता सब एक साथ दिखते हैं और जनता को आपस में लड़वाना कितना सही है ये सोचने की बात है। हिंदू धर्म के मंदिर उनको मिलें और मुस्लिम धर्म की मस्जिद उनको ये सब कानून के दायरे में रहकर ही संभव है। धार्मिक उन्माद फैलाने वाले कभी भी देश भक्त नहीं हो सकते इनके खिलाफ कानून को पहल शुरू करनी होगी। राष्ट्रीय झंडा सबका दिल है इसने तो कोई बयान नहीं दिया फिर इसके साथ दुश्मनी क्यों है। जिसने बयान दिया उसके खिलाफ न्यायालय में जोरदार तरीके से पैरवी हो तो बात समझ में आती है। देश से बड़ा धर्म नहीं हो सकता सबसे बड़ा धर्म भारतीयता है इसकी सबको मिलजुल कर रक्षा करनी चाहिए। धर्म के नाम पर सियासत गरमाने वालों को ये सोचना होगा। किसी भी धर्म के खिलाफ बोलना या उसका अपमान गलत है इससे लोगों की भावना को ठेस पहुंचती है और खाई बढ़ती है। देश के झंडे का अपमान करना देश द्रोह कहा जायेगा चाहे कोई करे। राष्ट्रीय झंडा ऊंचा रहे ये सब नारा लगाते हैं फिर झंडे का अपमान क्यों। झंडे ने तो कोई बयान नहीं दिया फिर उसे सजा कैसे दी जा सकती है। हिंसा भी देश को कमजोर करती है इसलिए कानून के लिहाज से हर समस्या को सुलझाया जा सकता है यही सबके हित में होगा।
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