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जब नदी का पानी कढ़ाई में डाला तो घी बन गया था! पढ़ें आस्था और विश्वास के मेले की कहानी

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दूरगामी नयन डेस्क

भवाली। आस्था और विश्वास के प्रतीक कैंची धाम में मेले की सभी तैयारी पूरी हो चुकी हैं। बाबा नीम करोरी के भक्तों का आना शुरु हो गया है। दो साल बाद लगने वाले मेले की व्यापक स्तर पर तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा रहा है। बाबा नीम करोरी मंदिर परिसर में हलचल तेज हो गई है वहीं जिला प्रशासन ने भी मेले को लेकर सभी इंतजाम पूरे कर लिए हैं। बाबा के अनुयाई अपने अपने स्तर से सेवा में समर्पित भाव से जुटे हैं। बाबा के बारे में एक महिला ने बताया कि बहुत पुरानी बात है मेला होने वाला था प्रसाद बन रहा था कि कढ़ाई में घी कम हो गया तो भक्त बोले महाराज घी खत्म होने वाला है तो महाराज बोले जाओ नदी से जल भरकर कढ़ाई में डाल दो ये सुनकर भक्त सोचने लगे बाबा नाराज हो गए तब ऐसा बोल रहे हैं लेकिन बाबा फिर बोले जाओ जो कहा वो करो मजबूरी में भक्त नदी से जल लाए और कढ़ाई में डाला तो वह पानी घी बन गया और पूरा प्रसाद बन गया तभी घी लेकर भक्त आ गए तो बाबा बोले जितना जल नदी से लाए थे उतना घी नदी को वापस करके आओ भक्त घी नदी में डालकर आए तो देखा मंदिर में जितने टिन पानी भरा था वह घी बन गया। इसके बाद से बाबा के अनुयाई जो मांगते उनको मिल जाता था। बाबा के अनुयाई आज भी उनके नाम से मशहूर इस मंदिर में हर साल पंद्रह जून को मेले का आयोजन करते हैं। लाखों लोगों की आस्था बाबा के प्रति आज भी जीवंत है। हर साल पंद्रह जून को बाबा के मंदिर में आस्था और विश्वास का संगम दिखाई देता है। कल होने जा रहे इस मेले की सभी तैयारी पूरी हो चुकी हैं।

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