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सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट को लेकर कार्यशाला आयोजित! पढ़ें कूड़ा निस्तारण को लेकर चर्चा…

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हल्द्वानी। सर्किट हाउस, काठगोदाम में जनपद स्तरीय प्लास्टिक/ठोस अपशिष्ठ प्रबन्धन एक दिवसीय कार्यशाला का मेयर डा0 जोगेेन्दर पाल सिंह रौतेला ने किया शुभारम्भ। कार्यशाला में जनपद के सालिड वेस्ट मैनेजमेंट से जुड़े अधिकारियों एवं कर्मचारियों के साथ ही स्वयं सेवी संस्थाओं के सदस्यों ने प्रतिभाग किया। कार्यशाला को सम्बोधित करते हुये मेयर डा0 रौतेला ने कहा कि ठोस अपशिष्ट प्रबंधन प्रणाली का मुख्य उद्देश्य कूड़े-करकट से अधिकतम मात्रा में उपयोगी संसाधन प्राप्त करना और ऊर्जा का उत्पादन करना है, ताकि कम-से-कम मात्रा में अपशिष्ट पदार्थों को लैंडफिल क्षेत्र में फेंकना न पड़े। इसका कारण यह है कि लैंडफिल में फेंके जाने वाले कूड़े का भारी खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। एक तो इसके लिए काफी जमीन की आवश्यकता होती है जो लगातार कम होती जा रही है, और दूसरे कूड़ा वायु, मिट्टी और जल-प्रदूषण का सम्भावित कारण भी है। उन्होंने कहा लोगों मे इसके लिए जागरूकता लानी होगी तभी हम इस मिशन में सफल हो पायेंगे। डा0 रौतेला ने कहा इस प्रकार की कार्यशाला का आयोजन समय-समय पर होना चाहिए। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़, दमन और दीव तथा गोवा जैसे कुछ राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों ने ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के नियमों का अनुपालन किया है वर्तमान की उनकी स्थिति देश में ठोस अपशिष्ट प्रबंधन मंे अव्वल है। नगर आयुक्त पंकज उपाध्याय ने कहा कि आम जनता भी एनजीओ को साथ लेकर शहर को साफ करने में अपना अहम योगदान दे सकते हैं। उन्होंने कहा ठोस अपशिष्ठ प्रबंधन नियम 2016 के नियमों का ध्यान में रखकर जनता की सहभागिता से जनपद को साफ करने मे अहम भूूमिका निभानी होगी। उन्होंने बैठक में उपस्थित जनपद के सभी निकायों, स्वयं सेवी संस्थाओं के प्रतिनिधियों से कहा कि सार्वजनिक स्थानांे पर कूडा डालने वालों का चालान करना सुनिश्चित करें। सभी स्थानीय शहरी निकायों में घर-घर जाकर कूड़ा एकत्र करने, उसकी छंटाई और बंद वाहनों के जरिए उसके परिवहन की व्यवस्था करने का कार्य पूर्ण कर लिया गया है फिर भी लोगों द्वारा सार्वजनिक स्थानों पर कूडा डाला जा रहा है। इसके लिए समय-समय पर लोगों को जागरूक करना होगा। कार्यशाला में स्टेट मिशन मैनेजर शहरी विकास निदेशालय देहरादून रवि शंकर बिष्ट द्वारा कार्यशाला में ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियमावली 2016 के बारे में विस्तार से बताया गया। उन्होेंने कहा प्रथम चरण – अपशिष्ट पदार्थ उत्पन्न करने वालों द्वारा कचरे को सूखे और गीले कचरे के रूप में छांट कर अलग करना, द्वितीय चरण – घर घर जाकर कूड़ा इकट्ठा करना और छंटाई के बाद इसे प्रसंस्करण के लिए भेजना, तृतीय चरण – सूखे कूड़े में से प्लास्टिक, कागज, धातु, कांच जैसी पुनर्चक्रित हो सकने वाली उपयोगी सामग्री छांटकर अलग करना, चतुर्थ चरण – कूड़े के प्रसंस्करण की सुविधाओं, जैसे कम्पोस्ट बनाने, बायो-मीथेन तैयार करने, और कूड़े-करकट से ऊर्जा उत्पादन करने के संयंत्रों की स्थापना करना तथा पंचम चरण – अपशिष्ट के निस्तारण की सुविधा-लैंडफिल बनाना है। उन्होंने कहा कि अगर कूड़े-करकट को इकट्ठा करके उसकी छंटाई किए बिना ही प्रसंस्करण केन्द्र में पहुँचा दिया जाता है तो उसका प्रसंस्करण बड़ा मुश्किल है क्योंकि ऐसे कूड़े के साथ भवन निर्माण और उनकी तोड़-फोड़ से निकला मलबा भी होता है जिसे प्रसंस्करण संयंत्र में सीधे उपयोग में नहीं लाया जा सकता। कूड़े को इकट्ठा करने, छांटने और परिवहन जैसी गतिविधियों के बीच पूरा तालमेल होना जरूरी है। तभी उसका उपयोग उस इलाके के प्रसंस्करण केन्द्र में किया जा सकता है। कार्यशाला में नगर स्वास्थ्य अधिकारी डा0 मनोज काण्डपाल, सहायक नगर आयुक्त गौरव भसीन, ईओ नगरपालिका भवाली संजय कुमार, भीमताल विजय बिष्ट, रामनगर महेन्द्र कुमार के साथ ही स्वयं सेवी संस्था के पुष्पा काण्डपाल, अन्जू पाण्डे, सरोज बिष्ट, दीप पुनेरा, विजय प्रकाश डबराल उपस्थित थे।

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