संपादकीय
जीवन की कलम से…
क्या हट सकेगा हल्द्वानी का अतिक्रमण!
उत्तराखंड हाईकोर्ट ने आदेश जारी किया है कि हल्द्वानी में रेल प्रशासन की भूमि अधिग्रहण कर रेल प्रशासन को दे दी जाए! जिला प्रशासन कब्जा हटाने के लिए मजबूत पहल शुरु कर चुका है। रेलवे भूमि पर बसे लोगों का कहना है उनको पुनर्वास के बिना न उजाड़ा जाए। रेलवे सूत्र कहते हैं उनके पास विकास के लिए जमीन नहीं है, रेल की पटरी गौला नदी में समा रही है इसलिए हर हाल में रेलवे अपनी जमीन लेगी। अतिक्रमण करने वाले लोगों का कहना है वह इस ठंड में अपने बच्चे लेकर कहां जाएं! कांग्रेस ने इस मामले को गंभीरता से लिया है और वह सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है जिसकी सुनवाई पांच जनवरी को होनी है। इधर जिला प्रशासन कब्जा हटाने को लेकर पूरी तैयारी कर चुका है। रेलवे सूत्र बताते हैं कि उनको रेल के विकास के लिए अपनी जमीन हर हाल में चाहिए। सुप्रीम कोर्ट इस प्रकरण पर क्या आदेश देता है देखना होगा। हल्द्वानी में रेलवे की भूमि को लेकर सियासत तेज हो गई है। कांग्रेस ने इसे अपने वजूद से जोड़ लिया है। सरकार हाई कोर्ट के आदेश का पालन करेगी कि इससे पहले सुप्रीम कोर्ट कोई राहत दे देता है देखने का विषय है। रेलवे की भूमि पर बसे लोग अब चिंता में डूबे नजर आ रहे हैं। कांग्रेस इस अतिक्रमण को बचाने के लिए मजबूत पहल करने लगी है। हल्द्वानी विधान सभा क्षेत्र में कांग्रेस की इज्जत बचाने वाला ये मुस्लिम बहुल क्षेत्र इन दिनों खासा चर्चा में है। भाजपा को छोड़ सभी राजनीतिक दल अतिक्रमण करने वालों के पक्ष में नजर आते हैं। लोगों का कहना है उनको सिर छिपाने की जगह मिलनी चाहिए। पचास हजार की आबादी को कहां बसाया जायेगा ये भी गंभीर चिंतन का विषय है। हल्द्वानी में रेलवे की भूमि को लेकर शहर में तनाव बढ़ रहा है। बाहरी लोग यहां आकर शांत फिजा को बिगाड़ सकते हैं। जिला प्रशासन को हर बिंदु को समझना होगा। रेलवे अपनी जमीन ले रही है तो इसमें सरकार का लेना देना क्या है। सरकार इस मामले से दूर नजर आती है। कांग्रेस शासन हर बार इस क्षेत्र को बचाने की दिशा में पहल करती रही है। कांग्रेस और अतिक्रमण करने वालों की आवाज अब पांच जनवरी को सुप्रीम कौन सुनेगा। हल्द्वानी में रेल अपना विस्तार करने के लिए लंबे समय से अपनी जमीन मांग रहा है लेकिन कभी अदालत तो कभी राजनीतिक दल इसमें आगे आते रहे हैं। रेलवे भूमि से अतिक्रमण हटेगा या नहीं ये सुप्रीम कोर्ट पर निर्भर करता है। संपादक।
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