

मंदिर का इतिहास –
सिद्धपीठ धारी देवी का ये मंदिर श्रीनगर से करीब 13 किलोमीटर दूर अलकनंदा नदी किनारे स्थित था। श्रीनगर जल विद्युत परियोजना के निर्माण के बाद यह डूब क्षेत्र में आ रहा था. इसके लिए इसी स्थान पर परियोजना संचालन कर रही कंपनी की ओर से पिलर खड़े कर मंदिर का निर्माण कराया जा रहा था, लेकिन जून 2013 में केदारनाथ जलप्रलय के कारण अलकनंदा नदी का जलस्तर बढ़ने की वजह से प्रतिमाओं को अपलिफ्ट कर दिया गया था और पिछले नौ साल से प्रतिमा इसी अस्थायी स्थान में विराजमान हैं. लेकिन अब मॉ धारी की मूर्ति अपने मूल स्थान के ठीक उपर पिल्लरों पर बनें इस खूबसूरत मंदिर में विराजमान होंगी।











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