
देहरादून। छात्रों पर लाठी चार्ज के बाद सियासत गरमा गरम हो गई है! सीएम पुष्कर धामी सरकार ने जांच के आदेश दिए हैं तो आंदोलन कर रहे युवा अब बंद जैसा आंदोलन संचालित कर रहे हैं जिससे सूबे की सियासत में भूचाल आया है।
आंदोलनकारी युवा वर्ग गुस्से में है तो धामी सरकार जांच के आदेश देकर मामले में विपक्ष को कोई मौका नहीं देना चाहती। धामी सरकार ने कहा है कि वह जनता के सपनों को साकार करने की दिशा में पहल कर रही है।
इधर छात्र संघ अध्यक्ष बाबी पवार का कहना है आंदोलन अपने मुकाम तक न पहुंचे इसलिए अराजकता फैलाई गई जो सुनियोजित साजिश का हिस्सा है।
इधर सरकार लगातार इस टकराव को समाप्त करने की दिशा में आगे बढ़ रही है तो 2024 के चुनाव से पूर्व मुद्दे उठना लाजिमी है!
सीएम पुष्कर सिंह धामी को घेरने के लिए विपक्ष तो मुकम्मल नजर नहीं आता हां छात्रों के कंधे में सियासत की बंदूक रखी जा सकती है। कह सकते हैं आयोजित नहीं प्रायोजित हो सकता है! सरकार को चाहिए कि हिंसा के लिए जिम्मेदार लोगों पर कार्यवाही हो और युवा समुदाय का दर्द भी गैर राजनीतिक चश्मे से सुना जाए!
छात्रों को भी चाहिए कि वह अपने लोकतांत्रिक तरीके से शिष्ट मंडल के रूप में मिलें और हिंसा से दूरी बनाएं। सरकार को चाहिए कि वह राज्य के भविष्य को संवारने की दिशा में दूरगामी परिणामों वाला कोई ठोस निर्णय ले जिससे युवाओं के दर्द को दवा मिल सके। युवाओं के लिए ही राज्य मांगा गया था आज युवा उत्तराखंड, युवा मुख्यमंत्री पुष्कर धामी सरकार से सपनों का उत्तराखंड मांग रहा है जिसे सरकार को गंभीरता पूर्वक लेना चाहिए।
सियासत के चश्मे से नहीं इच्छाशक्ति के चश्में से राज्य का विकास किया जा सकता है इसलिए धामी सरकार को चाहिए कि वह जनता के सपनों का राज्य बनाने की दिशा में कुछ बदलाव लाए जिससे जनता को लगे कि उत्तराखंड में विकास का पैमाना बन गया है।
रोजगार के लिए चोर दरवाजे से जो भर्ती हो रही है, पेपर लीक हो रहे हैं ये चिंता करने का विषय है।
धामी सरकार ने जांच के आदेश देकर ये साबित किया है कि वह छात्रों के साथ खड़ी है।
















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