

भारतीय राजनीति में नेतृत्व परिवर्तन अक्सर सत्ता-समीकरण, जातीय संतुलन या वंशानुगत दावों के इर्द-गिर्द घूमता रहा है।
ऐसे दौर में भारतीय जनता पार्टी द्वारा मात्र 45 वर्ष की उम्र में नितिन नबीन को राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में आगे बढ़ाना एक बड़ा और दूरगामी राजनीतिक संकेत है।
यह फैसला केवल एक पद की घोषणा नहीं, बल्कि उस संगठनात्मक राजनीति की पुष्टि है, जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह लगातार आकार देते रहे हैं।
यह निर्णय बताता है कि भाजपा की राजनीति केवल वर्तमान चुनावी लाभ तक सीमित नहीं है, बल्कि वह भविष्य की नेतृत्व पीढ़ी को गढ़ने पर केंद्रित है। यही कारण है कि राजनीतिक हलकों में यह चर्चा तेज है कि “यह सिर्फ भाजपा में ही संभव है।
शोर नहीं, संगठन से बनी पहचान
नितिन नबीन की राजनीतिक पहचान किसी आक्रामक बयान, टीवी डिबेट या सोशल मीडिया के शोर से नहीं बनी। उनकी पहचान संगठन के भीतर निरंतर, शांत और अनुशासित काम से बनी है। बिहार जैसे राजनीतिक रूप से संवेदनशील और जटिल राज्य में तीन बार मंत्री रहने के बावजूद उनका नाम किसी बड़े विवाद से नहीं जुड़ा,यह अपने आप में असाधारण है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर नितिन नबीन को लेकर जो लिखा, उससे यह स्पष्ट होता है कि शीर्ष नेतृत्व ऐसे नेताओं को आगे बढ़ाना चाहता है, जिनकी राजनीति दिखावे से दूर और जमीन से जुड़ी हो।
26 वर्ष की उम्र में विधायक बनना बड़ी उपलब्धि थी, लेकिन उससे भी अहम यह रहा कि नितिन नबीन ने कभी सत्ता को अपनी राजनीति का केंद्र नहीं बनने दिया।
मोदी-शाह की जोड़ी को आमतौर पर चुनावी रणनीति,निर्णायक नेतृत्व और चौंकाने वाले निर्णयों के लिए जाना जाता है, नितिन नबीन के चयन में भी ऐसा ही दिखाई देता है।
नितिन को अध्यक्ष बनाना बताता है कि यह जोड़ी केवल जीत की राजनीति नहीं करती, बल्कि संगठन की दीर्घकालिक मजबूती को लेकर भी उतनी ही गंभीर है।
यह भाजपा की उस रणनीति को दर्शाता है, जिसमें ‘स्टार पॉलिटिक्स’ के बजाय ‘संगठन पॉलिटिक्स’ को प्राथमिकता दी जा रही है।
नितिन नबीन न तो टीवी के स्थायी चेहरा हैं, न ही सोशल मीडिया पर आक्रामक उपस्थिति वाले नेता लेकिन वे पार्टी के भीतर भरोसेमंद संगठक के रूप में पहचाने जाते हैं और यही गुण मोदी और शाह की भाजपा में सबसे ज्यादा मूल्यवान है।*संघ संस्कार और राजनीतिक अनुशासन*
नितिन नबीन की राजनीति को समझने के लिए उनकी पृष्ठभूमि को जानना बहुत महत्वपूर्ण है। उनके पिता स्वर्गीय नवीन किशोर सिन्हा बिहार में संघ पृष्ठभूमि के वरिष्ठ भाजपा नेताओं में गिने जाते थे।
यही कारण है कि नितिन नबीन की कार्यशैली में अनुशासन, संयम और संगठन के प्रति निष्ठा साफ दिखाई देती है।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को केवल वैचारिक संस्था के रूप में देखना उसकी भूमिका को कम करके आंकना होगा। संघ भाजपा के लिए नेतृत्व निर्माण की आधारशिला है। यहां कार्यकर्ता सत्ता के लिए नहीं, बल्कि संगठन और समाज के लिए तैयार किए जाते हैं।
अटल बिहारी वाजपेयी से लेकर नरेंद्र मोदी और अमित शाह तक यही परंपरा दिखाई देती है, और नितिन नबीन उसी श्रृंखला की अगली कड़ी हैं।
युवा मोर्चा से राष्ट्रीय राजनीति तक
नितिन नबीन का संगठनात्मक सफर विशेष रूप से भारतीय जनता युवा मोर्चा से मजबूती से जुड़ा रहा है। जब अनुराग ठाकुर युवा मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे, उसी दौर में नितिन नबीन को उनकी टीम में राष्ट्रीय महामंत्री बनाया गया था।
यह वह समय था, जब भाजपा युवा नेतृत्व को राष्ट्रीय स्तर पर तैयार करने की रणनीति पर काम कर रही थी। उसी कार्यकारिणी में नितिन नबीन के साथ मध्यप्रदेश में भाजपा के महामंत्री राहुल कोठारी भी युवा मोर्चा के राष्ट्रीय महामंत्री थे।
यह संयोग नहीं, बल्कि भाजपा की उस सोच का प्रमाण था, जिसमें अलग-अलग राज्यों से संगठनात्मक रूप से सक्षम युवाओं को एक साथ राष्ट्रीय जिम्मेदारी दी गई। युवा मोर्चा में किया गया यही काम आगे चलकर नितिन नबीन की राष्ट्रीय राजनीति की नींव बना।
बिहार से बाहर, राष्ट्रीय स्तर पर भूमिका
वर्ष 2006 से 2025 के बीच नितिन नबीन ने बिहार के साथ-साथ दिल्ली, सिक्किम और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में संगठनात्मक जिम्मेदारियां निभाईं। यह अनुभव उन्हें केवल एक क्षेत्रीय नेता नहीं, बल्कि राष्ट्रीय दृष्टि वाला संगठक बनाता है।
2008 में युवा मोर्चा की राष्ट्रीय कार्यसमिति से लेकर 2010 में राष्ट्रीय महामंत्री, फिर 2016 में बिहार युवा मोर्चा के अध्यक्ष और उसके बाद विभिन्न राज्यों में चुनावी व संगठनात्मक जिम्मेदारियां,हर स्तर पर उन्होंने अलग तरह से काम करके नेतृत्व का भरोसा जीता।
2019 में सिक्किम विधानसभा और लोकसभा चुनाव, तथा छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में संगठन और सरकार के बीच समन्वय की भूमिका ने यह साबित किया कि वे केवल संगठन के नेता नहीं, बल्कि संतुलन साधने वाले राजनीतिक प्रबंधक भी हैं।
भाजपा बनाम शेष राजनीति
नितिन नबीन का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनना भारतीय राजनीति की दो धाराओं को स्पष्ट करता है। एक ओर वे दल हैं, जहां नेतृत्व परिवार, जाति या तात्कालिक लोकप्रियता से तय होता है। दूसरी ओर भाजपा है, जहां संगठनात्मक योग्यता, वैचारिक निष्ठा और अनुशासन को प्राथमिकता दी जाती है।
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव,हरियाणा के नायब सिंह सैनी, राजस्थान के भजनलाल शर्मा और छत्तीसगढ़ के विष्णु देव साय जैसे नाम इस बात के प्रमाण हैं कि भाजपा ने हाल के वर्षों में अपेक्षाकृत कम चर्चित लेकिन संगठन में तपे नेताओं को आगे बढ़ाया है। नितिन नबीन उसी क्रम की अगली कड़ी हैं।
*अनुभवी और युवा नेतृत्व*
45 वर्ष की उम्र में नितिन नबीन को आगे बढ़ाना यह संदेश देता है कि भाजपा में युवा नेतृत्व का अर्थ अनुभवहीनता नहीं होता। पार्टी ऐसे नेताओं को तरजीह दे रही है, जिन्होंने संगठन में समय दिया हो, जिम्मेदारियां निभाई हों और सत्ता को लक्ष्य नहीं, साधन माना हो।
यह फैसला भाजपा की उस दीर्घकालिक रणनीति की झलक है, जिसमें आने वाले 20-25 वर्षों की राजनीति के लिए शांत, अनुशासित और वैचारिक रूप से प्रतिबद्ध नेतृत्व तैयार किया जा रहा है।
मोदी शाह की ‘नबीन’ भाजपा दरअसल उस राजनीति को मजबूत कर रही है, जहां सत्ता प्रदर्शन नहीं, संगठन साधना है,जहां पद पुरस्कार नहीं, जिम्मेदारी है, और जहां राजनीति का उद्देश्य केवल चुनाव जीतना नहीं, बल्कि कार्यकर्ता और राष्ट्र निर्माण है।
इसी वजह से नितिन नबीन का उभार केवल एक राजनीतिक खबर नहीं, बल्कि भारतीय राजनीति के बदलते चरित्र की स्पष्ट तस्वीर है। सहयोग: विनायक फीचर्स
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